Monday, 24 October 2022

हमें भगवान की प्राप्ति क्यों नहीं होती? ---

 हमें भगवान की प्राप्ति क्यों नहीं होती?

.
हमें भगवान की प्राप्ति इसलिए नहीं होती, क्योंकि हमने भगवान को कभी चाहा ही नहीं। हम भगवान की आराधना उनकी विभूतियों की प्राप्ति के लिए करते हैं, न कि उनके लिए। इसलिए हमें भगवान की प्राप्ति नहीं होती।
.
गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं को पाने का उपाय -- "अनन्य अव्यभिचारिणी भक्ति" (मयि चानन्ययोगेन भक्तिरव्यभिचारिणी) बताया है। रामचरितमानस में "अनपायनी भक्ति" की बात कही गई है (पद सरोज अनपायनी भगति सदा सतसंग)।
.
भगवान तो कल्पतरू हैं। हमारे मन में जैसा भी भाव होता है, वही उन से मिल जाता है। ऊँचे से ऊँचे साधक -- अपवर्ग की कामना करते हैं, जो नहीं होनी चाहिए। हम लोग उनसे "अर्थ और काम" ही चाहते हैं, जो बहुत घटिया बात है।
हमारे मन में भक्ति कर के अर्थ-धर्म-काम-मोक्ष कुछ भी पाने की इच्छा नहीं होनी चाहिए। तब फिर भगवान स्वयं को ही दे देते हैं। यदि माँगना ही है तो उनसे उनका परमप्रेम मांगो, अन्य कुछ भी नहीं। तभी भगवत्-प्राप्ति होगी।
ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
१९ अक्तूबर २०२२

No comments:

Post a Comment