भौतिक देह की चेतना से ऊपर उठिए, हम ईश्वर के साथ एक हैं ---
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सामान्य मानवीय चेतना से ऊपर उठिए, स्वयं को दीन-हीन व अकिंचन मत समझिये। हम यह देह नहीं, परमात्मा के निज रूप हैं। विश्व में आज तक जितने भी महान कार्य हुए हैं, वे सारे महान कार्य उन लोगों के माध्यम से सम्पादित हुए हैं जो अत्यंत सरल और सांसारिक रूप से सामान्य व्यक्ति थे। अपनी चेतना को ईश्वर की चेतना से जोड़िये। अपने अन्तस्थ में प्रभु को ढूँढिए। इस प्रक्रिया में अनायास ही अनेक दिव्य और अकल्पनीय कार्य हमारे माध्यम से हो जायेंगे।
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संसार में कुछ भी नि:शुल्क नहीं है। हर चीज का मुल्य चुकाना होता है। एक दीपक पहले स्वयं जलता है तब जाकर उसका प्रकाश औरों को मिलता है। दीपक पतंगों को प्यारा है। वे दीपक के प्रेम में इतने उन्मत्त हो जाते हैं कि उसकी लौ में स्वयं को जला देते हैं। पर वास्तव में सत्य कुछ और ही है। दीपक पहले अपने आप को जलाता है, उसके बाद ही पतंगे उस की लौ से प्रेम करते हैं। आप जो भी महान कार्य होते हुए देखना चाहते हैं, उसका संकल्प निरंतर निज चेतना में बनाए रखिये। आप का संकल्प कभी भी विस्मृत न हो, तो अवश्य ही सत्य सिद्ध होगा।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१५ अक्टूबर २०२२
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