Monday, 24 October 2022

हिन्दुत्व को बचाने के लिए गुरुकुलों की स्थापना आवश्यक है ---

 हिन्दुत्व को बचाने के लिए गुरुकुलों की स्थापना और उन्हें वही मान्यता मिलना आवश्यक है जो मदरसों व कान्वेंट स्कूलों को है। सभी मुसलमान अपने बच्चों को मदरसों में पढ़ने को भेजते हैं, और सभी ईसाई कोनवेंट स्कूलों में। एक भयंकर षड़यंत्र के अंतर्गत भारत का संविधान हिन्दू विरोधी बनाया गया है, जो हिंदुओं को अपना धर्म पढ़ाने की अनुमति नहीं देता। धर्मशिक्षण के अभाव में हिन्दू बालक धर्म-विहीन होते जा रहे हैं। आजकल सब हिन्दू अपने बच्चों को अंग्रेज़ बनाना चाहते है, भारतीय नहीं। यही स्थिति रही तो देश की अस्मिता हिन्दुत्व खतरे में है।

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मुझे पीड़ा सिर्फ एक ही चीज को देखकर होती है कि हिंदुओं के किशोरों व युवाओं को अपने धर्म का बिलकुल भी ज्ञान नहीं है, (इसका कारण भारत के संविधान की हिन्दू विरोधी धाराएँ हैं)। जब कि मुसलमानों के बच्चों और बच्चियों में अपने मज़हब का पूरा ज्ञान होता है। वे अपने बच्चों को मदरसों में दीनी तालीम अवश्य दिलवाते हैं। उनके अनेक स्कूली बच्चे कुरान मजीद की तिलावत का पाठ बिना देखे अपनी स्मृति से करते हैं। फिर उर्दू भाषा का ज्ञान हरेक मुसलमान बालक के लिए अनिवार्य है। हिंदुओं में हजारों में से दो-तीन बालक ही संस्कृत पढ़ना चाहते हैं। स्वस्तिवाचन यानि वैदिक भद्रसूक्त तो हजारों में से एक-दो बालको को ही आता होगा। हिन्दू समाज में विकृति यह है कि हरेक हिन्दू अपने बच्चों कों अंग्रेज़ बनाना चाहता है, कोई भी हिन्दू नहीं बनाना चाहता। मैंने कुछ मित्रों को सलाह दी कि अपने बच्चों को संस्कृत पढ़ाओ, तो उनका उत्तर था कि बच्चों को मंदिर का पुजारी नहीं बनाना है। यज्ञोपवीत संस्कार भी एक औपचारिकता सा हो गया है जो विवाह से पूर्व एक-दो घंटों में सम्पन्न करा दिया जाता है। संध्या-गायत्री आदि का ज्ञान बहुत कम युवकों को है।
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यह संसार मेरा नहीं, परमात्मा का है। धर्म की पुनर्स्थापना का काम उनका है। मैं तो अंत समय तक अपने धर्म पर दृढ़ रहूँगा। ॐ स्वस्ति !!
कृपा शंकर
१६ अक्तूबर २०२२

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