भगवान कब तक हमारी प्रतीक्षा करेंगे ? हम क्यों उन्हें निराश कर रहे हैं ?
भगवान हमें अपने साथ एक करना चाहते हैं. भक्ति और समर्पण का लक्ष्य ही
स्वयं की पृथकता के बोध का विसर्जन कर, भगवान के साथ एकाकार होना है. हम
भगवान को निराश नहीं कर सकते. पता नहीं कब से वे हमारी प्रतीक्षा कर रहे
हैं.
इसी क्षण से हम अपने प्रेमास्पद प्रभु के साथ एक हैं. उनकी अनंतता ही हमारी अनंतता हैं, उनकी पूर्णता ही हमारी पूर्णता है. वे ही हमारे गुरु हैं, वे ही हमारे एकमात्र सम्बन्धी हैं और वे ही हमारे एकमात्र मित्र हैं. जो वे हैं वह ही हम हैं.
ॐ तत्सत् ! शिवोहं शिवोहं अहं ब्रह्मास्मि ! ॐ शिव ! ॐ शिव ! ॐ शिव !
४ मार्च २०१८
इसी क्षण से हम अपने प्रेमास्पद प्रभु के साथ एक हैं. उनकी अनंतता ही हमारी अनंतता हैं, उनकी पूर्णता ही हमारी पूर्णता है. वे ही हमारे गुरु हैं, वे ही हमारे एकमात्र सम्बन्धी हैं और वे ही हमारे एकमात्र मित्र हैं. जो वे हैं वह ही हम हैं.
ॐ तत्सत् ! शिवोहं शिवोहं अहं ब्रह्मास्मि ! ॐ शिव ! ॐ शिव ! ॐ शिव !
४ मार्च २०१८
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