आत्म-तत्व की चेतना का कम होना बड़ा पीडादायक हो रहा है .....
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आत्म तत्व की चेतना का कम होना सारी आध्यात्मिक प्रगति को अवरुद्ध कर देता है| इसका एकमात्र कारण मन की चंचलता है| मन पर नियंत्रण प्राण-तत्व ही कर सकता है| प्राणों की चंचलता को कम कर के ही हम मन पर नियंत्रण कर सकते हैं| प्राण-तत्व .... ध्यान-साधना, अजपा-जप और क्रिया-योग से ही समझ और नियंत्रण में आता है| यह बुद्धि का विषय नहीं है|
थोड़ा सा भी सांसारिक मोह, हमारे पतन का कारण बन जाता है| बस यही तो हमारी कमी है| हे गुरु-रूप परमशिव परब्रह्म, आपकी पूर्ण कृपा हम सब पर फलीभूत हो| संसार से मोह नहीं छूटने के कारण ही आगे का मार्ग अवरुद्ध हो रहा है| यह मेरी ही नहीं सभी की पीड़ा है| निरंतर अभ्यास और वैराग्य ही हमें मुक्त कर सकते हैं| गीता में भगवान कहते हैं.....
"असंशयं महाबाहो मनो दुर्निग्रहं चलम् | अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते ||६:३५||
भगवान स्वयं ही ..... एकमात्र साधन सभी सांसारिक कामनाओं के त्याग (वैराग्य) और निरन्तर अभ्यास को बता रहे हैं|
इतनी सी बात समझ में आ रही है यह भी गुरु-कृपा ही है| हे गुरु-रूप परमशिव, हमारे समर्पण में पूर्णता हो| अन्य कुछ भी पाने की कामना का जन्म ही न हो| आप हमारी हर सांस, प्राण-प्रवाह और चेतना में निरंतर रहें|
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ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! श्री गुरवे नमः ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२३ फरवरी २०१९
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आत्म तत्व की चेतना का कम होना सारी आध्यात्मिक प्रगति को अवरुद्ध कर देता है| इसका एकमात्र कारण मन की चंचलता है| मन पर नियंत्रण प्राण-तत्व ही कर सकता है| प्राणों की चंचलता को कम कर के ही हम मन पर नियंत्रण कर सकते हैं| प्राण-तत्व .... ध्यान-साधना, अजपा-जप और क्रिया-योग से ही समझ और नियंत्रण में आता है| यह बुद्धि का विषय नहीं है|
थोड़ा सा भी सांसारिक मोह, हमारे पतन का कारण बन जाता है| बस यही तो हमारी कमी है| हे गुरु-रूप परमशिव परब्रह्म, आपकी पूर्ण कृपा हम सब पर फलीभूत हो| संसार से मोह नहीं छूटने के कारण ही आगे का मार्ग अवरुद्ध हो रहा है| यह मेरी ही नहीं सभी की पीड़ा है| निरंतर अभ्यास और वैराग्य ही हमें मुक्त कर सकते हैं| गीता में भगवान कहते हैं.....
"असंशयं महाबाहो मनो दुर्निग्रहं चलम् | अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते ||६:३५||
भगवान स्वयं ही ..... एकमात्र साधन सभी सांसारिक कामनाओं के त्याग (वैराग्य) और निरन्तर अभ्यास को बता रहे हैं|
इतनी सी बात समझ में आ रही है यह भी गुरु-कृपा ही है| हे गुरु-रूप परमशिव, हमारे समर्पण में पूर्णता हो| अन्य कुछ भी पाने की कामना का जन्म ही न हो| आप हमारी हर सांस, प्राण-प्रवाह और चेतना में निरंतर रहें|
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ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! श्री गुरवे नमः ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२३ फरवरी २०१९
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