Monday, 11 March 2019

मेरी एक प्रार्थना ...

मेरी एक प्रार्थना ...
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हे मेरे आराध्य देव, मैं आपका स्मरण / मनन / चिंतन / ध्यान करने में असमर्थ हूँ| आपकी माया से पार पाना संभव नहीं है| अब आप ही मेरा उद्धार कीजिये| मैं यह देह नहीं हूँ, फिर भी इसी की सुख-सुविधा और विलास में डूबा हुआ हूँ| इस की चेतना से निकने में असमर्थ हूँ| अब आप ही अनुग्रह कर के मुझे मुक्त कीजिये| मैं आप की शरणागत हूँ| यह चेतना और सर्वस्व आप को ही समर्पित कर रहा हूँ| मेरा लक्ष्य और गति आप ही हैं| मैं इस मायावी विक्षेप और आवरण से जकड़ा हुआ हूँ, मेरी रक्षा करो| आपका ही वचन है ....
सकृदेव प्रपन्नाय तवास्मीति च याचते | अभयं सर्वभूतेभ्यो ददाम्येतद् व्रतं मम ||
"जो एक बार भी शरणमें आकर ‘मैं तुम्हारा हूँ’ ऐसा कहकर मेरेसे रक्षाकी याचना करता है| उसको मैं सम्पूर्ण प्राणियोंसे अभय कर देता हूँ’ .... यह मेरा व्रत है ||"
अब प्रभु, मैं आपकी शरण में हूँ, अपनी इस माया से मुझे मुक्त करो| मेरी रक्षा करो| मुझसे कोई साधना नहीं होती, आप ही इसे करो| आपका ही वचन है ...
"सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं | जन्म कोटि अघ नासहिं तबहीं ||"
अब मैं आपके सन्मुख हूँ, मेरी रक्षा करो|
मुझे इतनी पात्रता दो कि मैं आपका अनन्य भक्त बन सकूं| अब आप मुझे भी अपना अनन्य भक्त बनाओ, मेरा भी योगक्षेम वहन करो| आपका ही वचन है ....
अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते| तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम् ||
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आपका वचन है ....
"अहं स्मरामि मद्भक्तं नयामि परमां गतिम् |""
मैं तो सर्वथा असमर्थ हूँ| अतः आप ही करुणावश मेरा इस संसारसागर से उद्धार कर दीजिए|
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"क्रतो स्मर कृतं स्मर क्रतो स्मर कृतं स्मर |" मुझ शरणागत की रक्षा करो|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
८ मार्च २०१९

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