Sunday 20 January 2019

इन्द्रियों पर संयम न होना हमारे सभी दुःखों का मुख्य कारण है .....

इन्द्रियों पर संयम न होना हमारे सभी दुःखों का मुख्य कारण है .....
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इन्द्रियों पर संयम न होना ही हमारे दुःखों का मुख्य कारण है| जिसकी इन्द्रियाँ बस में नहीं होती वह व्यक्ति कभी भी सुख नहीं पा सकता| यह बात मैं नहीं, गीता में भगवान स्वयं कह रहे हैं .....
"नास्ति बुद्धिरयुक्तस्य न चायुक्तस्य भावना| न चाभावयतः शान्तिरशान्तस्य कुतः सुखम्‌||२:६६||"
अर्थात् जिस मनुष्य की इन्द्रियाँ वश में नहीं होती है, उस मनुष्य की न तो बुद्धि स्थिर होती है, न मन स्थिर होता है, और न ही शान्ति प्राप्त होती है, उस शान्ति रहित मनुष्य को सुख किस प्रकार संभव है?||
"इन्द्रियाणां हि चरतां यन्मनोऽनुविधीयते| तदस्य हरति प्रज्ञां वायुर्नावमिवाम्भसि||२:६७||"
अर्थात जिस प्रकार पानी पर तैरने वाली नाव को वायु हर लेती है, उसी प्रकार विचरण करती हुई इन्द्रियों में से किसी एक इन्द्रिय पर मन निरन्तर लगा रहता है, वह एक इन्द्रिय ही उस मनुष्य की बुद्धि को हर लेती है||
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इससे मुक्त होने का क्या उपाय करे ? यह भी भगवान् वासुदेव ने गीता में ही बड़ा स्पष्ट कहा है, जिसका हम सब स्वाध्याय करें|
वे भगवान वासुदेव और उनके सभी भक्त संत-महात्मा मुझ अकिंचन पर अनुग्रह करें|
ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२९ दिसंबर २०१८

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