Sunday 20 January 2019

अंडमान के तीन द्वीपों का नाम परिवर्तन .....

भारत सरकार द्वारा अंडमान-निकोबार के तीन लोकप्रिय द्वीपों के नाम बदलने का मैं स्वागत करता हूँ| यहाँ के हेवलॉक, नील और रोज द्वीपों के नामों पर मुझे सदा ही आपत्ति रही है| ये नाम उन राक्षस अँगरेज़ सेना नायकों के सम्मान में रखे गए थे जिन्होनें सन १८५७ में भारत के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम को निर्दयता से कुचला और करोड़ों भारतीयों का नरसंहार किया| इन राक्षसों ने १८५७ के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम का बदला लेने के लिए व्यापक नर-संहार किया था जो विश्व इतिहास में सबसे बड़ा था| एक करोड से अधिक निर्दोष भारतीयों की पेड़ों से लटका कर हत्याएँ की गयी थीं| दो माह के भीतर भीतर इतना बड़ा नर-संहार विश्व इतिहास में कहीं भी नहीं हुआ है|
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(१) हेवलॉक द्वीप का नाम अँगरेज़ General Sir Henry Havelock के सम्मान में रखा गया था जिनके नेतृत्व में अँगरेज़ सेना ने झाँसी की रानी को भागने को बाध्य किया और उनकी ह्त्या की| इस राक्षस ने झांसी के आसपास के क्षेत्रों में लाखों भारतीयों की हत्याएँ करवाई थीं|
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(२) रोज द्वीप का नाम अँगरेज़ Field Marshal Henry Hugh Rose के सम्मान में रखा गया था जो १८५७ के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम को कुचलने का जिम्मेदार था| इस राक्षस ने कानपुर की ३ लाख की जनसंख्या में से लगभग दो लाख सत्तर हज़ार नागरिकों की ह्त्या कर कानपुर नगर को श्मसान बना दिया था| यह एक नर-पिशाच और भयानक हत्यारा था| कानपुर के पास के एक गाँव कालपी की तो पूरी आबादी को ही क़त्ल कर दिया गया| वहाँ तो किसी पशु-पक्षी को भी जीवित नहीं छोड़ा गया|
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(३) नील द्वीप का नाम अँगरेज़ सेनाधिकारी General James George Smith Neill के सम्मान में रखा गया था जिसने भी लाखों भारतीयों की निर्मम हत्याएँ की| बिहार में कुंवर सिंह के क्षेत्र में आरा और गंगा नदी के बीच के एक गाँव में इस राक्षस ने वहाँ के सभी ३५०० लोगों की हत्याएँ की| फिर बनारस के निकट के एक गाँव में जाकर वहाँ के सभी ५५०० लोगों की हत्याएँ करवाई| यह जहाँ भी जाता, गाँव के सभी लोगों को एकत्र कर उन्हें गोलियों से भुनवा देता|
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उपरोक्त तीनों अँगरेज़ सेनाधिकारियों में से हरेक ने अपनी सेवा काल में कम से कम बीस बीस लाख भारतीयों की हत्याएँ की, इसलिए इनके नाम पर उपरोक्त द्वीपों के नाम रख कर इन्हें सम्मानित किया गया था|
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अब तक किसी भी सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया| अब केंद्र सरकार अंडमान और निकोबार के तीन लोकप्रिय द्वीपों .... रोज द्वीप, नील द्वीप और हैवलॉक द्वीप के नाम बदलने जा रही है| यह कदम स्वागत योग्य है| रोज द्वीप का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप, नील द्वीप का नाम शहीद द्वीप और हैवलॉक द्वीप का नाम स्‍वराज द्वीप रखने का फैसला किया गया है|
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नेताजी सुभाषचंद्र बोस को मैं भारत का प्रथम प्रधानमंत्री मानता हूँ| ३० दिसंबर १९४३ को नेताजी ने पोर्ट ब्लेयर के जिमखाना मैदान में राष्ट्रीय ध्वज फहराया था और भारत की स्वतंत्रता की घोषणा कर दी थी| अनेक देशों ने उनकी सरकार को मान्यता भी दे दी थी| पर द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की पराजय के कारण उन्हें भारत छोड़कर ताईवान और मंचूरिया होते हुए रूस भागना पडा जहाँ उन की ह्त्या कर दी गयी| उन की ह्त्या के पीछे स्वतंत्र हो चुके भारत की सरकार की भी सहमति थी| ताईवान में वायुयान दुर्घटना में उनकी मृत्यु की झूठी कहानी रची गयी| आज़ाद हिन्द फौज का खजाना जवाहार लाल नेहरू ने अपने अधिकार में ले लिया था| वह कहाँ गया उसे वे ही जानें|
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इंडोनेशिया में हनुमान जी को हन्डूमान कहते हैं| कुछ लोग कहते हैं कि अंडमान का नाम हन्डूमान से पड़ा|
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(अंडमान-निकोबार के कई द्वीपों में मुझे जाने का खूब अवसर मिला है जहाँ बिना विशेष सरकारी अनुमति के कोई जा ही नहीं सकता| वहाँ खूब घूमा हूँ अतः वहाँ के बारे में काफी जानकारी है)
ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !
कृपा शंकर
२६ दिसंबर २०१८

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