प्रख्यात वैदिक विद्वान श्री अरुण उपाध्याय जी से एक भेंट .....
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पिछले दिनों अनेक लोगों से भगवान की प्रेरणा से मिलना हुआ जिनमें कई तो संत स्वभाव के बहुत ही अच्छे आध्यात्मिक साधक थे, कुछ आध्यात्मिक रुझान वाले बहुत बड़े बड़े उद्योगपति थे और कुछ सामान्य व्यक्ति भी थे जिनसे भगवान मुझे मिलाना चाहते थे| यहाँ मैं एक विलक्षण और रहस्यमय विद्वान् व्यक्तित्व से मिलने के बारे में लिख रहा हूँ|
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आठ जनवरी को प्रातः दस बजे ईश्वर की प्रेरणा से ही मैं श्री अरुण उपाध्याय जी के घर उनसे मिलने गया था| घर के द्वार पर उन्होंने मेरा स्वागत किया| मैंने यह स्पष्ट कह दिया था कि आध्यात्म के अतिरिक्त अन्य किसी भी विषय पर मैं बात नहीं करूँगा|
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उनके घर पर यह नहीं लगा कि मैं उड़ीसा राज्य में पुलिस विभाग के सर्वोच्च पद (D.G.P.) से सेवानिवृत हुए एक बड़े से बड़े पूर्व पुलिस अधिकारी से बात कर रहा हूँ| उनके घर का वातावरण एक सात्विक ब्राह्मण के घर का सा था और वे स्वयं भी एक सात्विक ब्राह्मण ही थे| बड़े सहज भाव से उनसे वार्ता हुई| अपनी अल्प और सीमित बुद्धि से मेरे मन में पुराणों, वेदों और ज्योतिष के बारे में जो भी शंकाएँ थीं उन सब का उन्होंने निवारण किया और बड़े प्रेम से मेरे हर प्रश्न का उत्तर देकर मुझे पूरी तरह संतुष्ट किया|
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दो-तीन अलौकिक और विलक्षण बातें उनके व्यक्तित्व में मुझे ध्यान में आईं ...
एक तो अहंकार उनमें बिलकुल भी नहीं दिखाई दिया|
दूसरा मैंने यह अनुभूत किया कि वेदों, पुराणों और ज्योतिष के बारे में उनको जो भी ज्ञान हैं, वह इस जन्म में अर्जित नहीं है|
उनको अपने कुछ पूर्व जन्मों का भी ज्ञान था और मैंने यह भी अनुभूत किया कि वे वेदों, पुराणों और ज्योतिष के बारे में जो भी जानना चाहते हैं वह ज्ञान स्वतः ही उनमें प्रकट हो जाता है|
यह सिद्धि ईश्वर और गुरु की परम कृपा से ही होती है जो उन पर स्पष्ट रूप से है|
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पूर्ण रूप से संतुष्ट होकर मैं ढाई घंटे तक उनसे चर्चा कर बापस आ गया| यह एक अलौकिक सत्संग था| इस से पूर्व भी जोधपुर में दंडी स्वामी मृगेन्द्र सरस्वती जी के आश्रम में उनसे मिलना हुआ था, पर उस दिन वहाँ बड़ी भीड़ थी अतः कोई आध्यात्मिक चर्चा नहीं हो पाई थी| ईश्वर ने पुनश्चः यह एक अवसर दिया|
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ॐ श्री गुरवे नमः ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१७ जनवरी २०१९
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पिछले दिनों अनेक लोगों से भगवान की प्रेरणा से मिलना हुआ जिनमें कई तो संत स्वभाव के बहुत ही अच्छे आध्यात्मिक साधक थे, कुछ आध्यात्मिक रुझान वाले बहुत बड़े बड़े उद्योगपति थे और कुछ सामान्य व्यक्ति भी थे जिनसे भगवान मुझे मिलाना चाहते थे| यहाँ मैं एक विलक्षण और रहस्यमय विद्वान् व्यक्तित्व से मिलने के बारे में लिख रहा हूँ|
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आठ जनवरी को प्रातः दस बजे ईश्वर की प्रेरणा से ही मैं श्री अरुण उपाध्याय जी के घर उनसे मिलने गया था| घर के द्वार पर उन्होंने मेरा स्वागत किया| मैंने यह स्पष्ट कह दिया था कि आध्यात्म के अतिरिक्त अन्य किसी भी विषय पर मैं बात नहीं करूँगा|
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उनके घर पर यह नहीं लगा कि मैं उड़ीसा राज्य में पुलिस विभाग के सर्वोच्च पद (D.G.P.) से सेवानिवृत हुए एक बड़े से बड़े पूर्व पुलिस अधिकारी से बात कर रहा हूँ| उनके घर का वातावरण एक सात्विक ब्राह्मण के घर का सा था और वे स्वयं भी एक सात्विक ब्राह्मण ही थे| बड़े सहज भाव से उनसे वार्ता हुई| अपनी अल्प और सीमित बुद्धि से मेरे मन में पुराणों, वेदों और ज्योतिष के बारे में जो भी शंकाएँ थीं उन सब का उन्होंने निवारण किया और बड़े प्रेम से मेरे हर प्रश्न का उत्तर देकर मुझे पूरी तरह संतुष्ट किया|
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दो-तीन अलौकिक और विलक्षण बातें उनके व्यक्तित्व में मुझे ध्यान में आईं ...
एक तो अहंकार उनमें बिलकुल भी नहीं दिखाई दिया|
दूसरा मैंने यह अनुभूत किया कि वेदों, पुराणों और ज्योतिष के बारे में उनको जो भी ज्ञान हैं, वह इस जन्म में अर्जित नहीं है|
उनको अपने कुछ पूर्व जन्मों का भी ज्ञान था और मैंने यह भी अनुभूत किया कि वे वेदों, पुराणों और ज्योतिष के बारे में जो भी जानना चाहते हैं वह ज्ञान स्वतः ही उनमें प्रकट हो जाता है|
यह सिद्धि ईश्वर और गुरु की परम कृपा से ही होती है जो उन पर स्पष्ट रूप से है|
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पूर्ण रूप से संतुष्ट होकर मैं ढाई घंटे तक उनसे चर्चा कर बापस आ गया| यह एक अलौकिक सत्संग था| इस से पूर्व भी जोधपुर में दंडी स्वामी मृगेन्द्र सरस्वती जी के आश्रम में उनसे मिलना हुआ था, पर उस दिन वहाँ बड़ी भीड़ थी अतः कोई आध्यात्मिक चर्चा नहीं हो पाई थी| ईश्वर ने पुनश्चः यह एक अवसर दिया|
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ॐ श्री गुरवे नमः ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१७ जनवरी २०१९
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