Monday, 16 September 2024

सनातन धर्म को समझना बहुत आसान और बहुत सरल है, इसे समझिये और पालन कीजिये ---

सनातन धर्म के अनुसार आत्मा शाश्वत है, जो अपने संचित व प्रारब्ध कर्मफलों को भोगने के लिए बार-बार पुनर्जन्म लेती है। मनुष्य जीवन का लक्ष्य ईश्वर की प्राप्ति है। जब तक ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती तब तक संचित और प्रारब्ध कर्मफलों से कोई मुक्ति नहीं है।

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संक्षेप में यही सनातन धर्म है, जो इस सृष्टि को आदिकाल से संचालित कर रहा है, और सृष्टि के अंत तक रहेगा। सनातन धर्म के अनुसार हमारा सबसे बड़ा कर्तव्य और दायित्व -- ईश्वर का साक्षात्कार यानि भगवत्-प्राप्ति है। निश्चिंत होकर इसका पालन कीजिये।
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सारी सृष्टि ही सनातन धर्म से चल रही है। सनातन धर्म को नष्ट करने का अर्थ है -- परमात्मा द्वारा निर्मित सम्पूर्ण सृष्टि का विनाश, जिसका प्रयास अनेक आत्मघाती असुरों ने किया है। वे सारी आसुरी सत्ताएँ नष्ट हो गयीं, लेकिन सनातन धर्म यथावत है, और यथावत ही रहेगा।
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अन्य सब बातें इसी का विस्तार हैं जो निगमागम ग्रन्थों में समझायी गयी हैं। हम शाश्वत आत्मा हैं, और आत्मा का धर्म परमात्मा की प्राप्ति है। यही हमारा सनातन स्वधर्म है जो हमारा स्वभाव बन जाये। भगवान हमारी रक्षा कर रहे हैं, अतः निश्चिंत होकर अपने सनातन स्वधर्म का पालन कीजिये। ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१५ सितंबर २०२४

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