Wednesday, 31 August 2022

हमारे लिए हमारा धर्म और राष्ट्र प्रथम है, वासनाओं की पूर्ति नहीं ---

 हमारे लिए हमारा धर्म और राष्ट्र प्रथम है, वासनाओं की पूर्ति नहीं ---

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सनातन-धर्म और भारतीय-संस्कृति के उत्थान के लिए मुंबई के फिल्म उद्योग का जितनी शीघ्र नाश हो, उतना ही अच्छा है। जितनी शीघ्रता से बॉलीवुड और मुंबइया मनोरंजन उद्योग का पूर्ण पतन होगा, उतनी ही शीघ्र हमारी संस्कृति का पुनरोदय होगा। ये समाज में वासनाओं का ही विस्तार कर रहे हैं। वासनाओं का चिंतन हमारे विनाश का प्रमुख कारण है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं --
"ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।
सङ्गात् संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥२:६२॥"
"क्रोधाद्भवति संमोहः संमोहात्स्मृतिविभ्रमः।
स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥२:६३॥"
अर्थात् - "विषयों का चिन्तन करने वाले पुरुष की उसमें आसक्ति हो जाती है। आसक्ति से इच्छा और इच्छा से क्रोध उत्पन्न होता है॥"
"क्रोध से उत्पन्न होता है मोह और मोह से स्मृति विभ्रम। स्मृति के भ्रमित होने पर बुद्धि का नाश होता है और बुद्धि के नाश होने से वह मनुष्य नष्ट हो जाता है॥"
ॐ तत्सत् !!
३० अगस्त २०२२

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