यह सृष्टि परमात्मा की है, मेरी नहीं। उनकी प्रकृति अपने नियमों के अनुसार इस सृष्टि को चला रही है। नियमों को न जानना मेरी अज्ञानता है। इस त्रिगुणात्मक सृष्टि को सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण ही संचालित कर रहे हैं। अन्य तथ्यों का मुझे ज्ञान नहीं है। भगवान श्रीकृष्ण के अनुसार त्रिगुणातीत होकर ही इस के रहस्यों को हम समझ सकते हैं, अन्यथा नहीं। मुझे जो कार्य भगवान ने सौंपा है, वह है ध्यान साधना द्वारा उनके प्रकाश की निरंतर वृद्धि करना। अपने कार्य के लिए मैं सिर्फ परमात्मा और अपनी गुरु-परंपरा के प्रति ही जिम्मेदार हूँ। अन्य किसी के प्रति नहीं। यथासंभव अपनी क्षमतानुसार मैं निमित्त मात्र होकर परमात्मा के प्रति समर्पित भाव से अपना कार्य करूँगा। बाकी जो करना है वह परमात्मा ही करेंगे। मैं उनको नमन करता हूँ ---
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