भाद्रपद अमावस्या के दिन मेरा एक विशेष निजी और पारिवारिक पर्व होता है। इस बार भाद्रपद अमावस्या २७ अगस्त को पड़ रही है। लोकयात्रा के लिए उस दिन इस शरीर महाराज का जन्म हुआ था। आप वर्ष मत पूछिए, उसे रहस्य ही रहने दो।
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हमारे नगर में उस दिन श्रीराणीसती जी मंदिर का वार्षिकोत्सव रहता है। हमारे जिले के अरावली पर्वतमाला मे स्थित लोहार्गल तीर्थ से गोगा-नवमी को आरंभ हुई मालकेतु पर्वत (मालकेत बाबा) की २४ कोसीय परिक्रमा का समापन होता है।
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इस क्षेत्र पर भगवती की पूर्ण कृपा है, फिर भी यह
क्षेत्र बहुत अधिक पिछड़ा हुआ है। लेकिन भविष्य में इसी क्षेत्र से एक प्रचंड आध्यात्मिक क्रांति का सूत्रपात होगा, जो सम्पूर्ण विश्व को अपने लपेटे में ले लेगा। अनेक सुप्त प्रबल आध्यात्मिक शक्तियाँ जागृत होंगी, जिन्हें रोकने की सामर्थ्य किसी में नहीं है। तब तक मैं तो इस शरीर में नहीं रहूँगा, फिर भी उस का साक्षी रहूँगा।
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कुछ दिन के लिए मैं इस मंच से अवकाश ले रहा हूँ। आप सभी को मंगलमय शुभ कामनाएँ॥
ॐ तत्सत् !!
२२ अगस्त २०२२
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