Friday, 6 May 2022

हम आत्म-हीनता के बोध से मुक्त हों ---

 हम आत्म-हीनता के बोध से मुक्त हों ---

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हम चिंता-मुक्त जीवन जीयें और भगवान में आस्था रखें तो हमारा जीवन बहुत सुखी होगा। अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित रखें। प्रातः उठते ही उष:पान करें, स्वच्छ और खुली वायु में टहलें, यथाशक्ति पर्याप्त व्यायाम करें, उचित समय पर पौष्टिक आहार लें, पर्याप्त नींद लें, और पर्याप्त विश्राम करें। स्वयं को प्रत्येक दृष्टिकोण से शक्तिशाली बनाएँ -- भौतिक, मानसिक, बौद्धिक, आर्थिक, और आध्यात्मिक।
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श्रीमद्भगवद्गीता भारत का प्राण है -- ऐसा मेरा मानना है, इसलिए उसका स्वाध्याय नित्य करें। भगवान का स्मरण हर समय करें, रात्री में और प्रातः भगवान का ध्यान करें। भगवान ने हमें विवेक दिया है, उस विवेक के प्रकाश में अपना जीवन जीयें। किसी भी तरह की दुर्बलता हम में न रहे। हम शक्तिशाली और पराक्रमी होंगे तो हमारा समाज और राष्ट्र भी पराक्रमी होगा। यह हमारे पुरुषार्थ पर निर्भर है। धर्म का पालन ही धर्म की रक्षा है। हम धर्मनिष्ठ और पराक्रमी होंगे तो भारत विजयी होकर एक अखंड, सत्यधर्मनिष्ठ, व आध्यात्मिक हिन्दू राष्ट्र होगा। सत्य-सनातन धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा व वैश्वीकरण होगा।
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हमारे में किसी भी तरह की कोई कमी नहीं है। हम उच्च कोटि का अच्छा मौलिक साहित्य पढ़ें (विदेशी लेखकों का नहीं), और सुव्यवस्थित जीवन जी ते हुए आत्म-हीनता के बोध से ऊपर उठें। भगवान हमारे साथ एक हैं।
ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
२९ अप्रेल २०२२

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