Friday 6 May 2022

भारत तो भगवान की कृपा से ही बचा हुआ है ----

 पाकिस्तान और चीन ने भारत में गृहयुद्ध आरंभ करवाने के यथासंभव अधिकाधिक प्रयास किए हैं, लेकिन वे सफल नहीं हो पाये। भारत का सबसे अधिक अहित तो ब्रिटेन ने किया है। भारत की शिक्षा-व्यवस्था, कृषि-पद्धति, और संस्कृति को नष्ट कर भारत को आर्थिक रूप से पूरी तरह लूट कर विपन्न बनाने और भारत का विभाजन करने का दोषी ब्रिटेन है।

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अफ्रीका से अमानवीय रूप से अफ्रीकी लोगों के अपहरण और उन्हें गुलाम बनाकर बेचने का कार्य भी अंग्रेजों ने किया है। उत्तरी और दक्षिणी अमेरिकी महाद्वीपों, ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप, और न्यूज़ीलेंड के करोड़ों मूल निवासियों की हत्या कर के यूरोपीय लोगों को वहाँ बसाने का काम भी अंग्रेजों ने किया है। इसमें उन्हें पुर्तगाल और स्पेन का पूरा सहयोग मिला।
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भारत में भी सभी भारतीयों की हत्या कर के सिर्फ अंग्रेजों को ही यहाँ बसाने की योजना अंग्रेजों की थी। बंगाल में अकाल की स्थिति पैदा कर करोड़ों भारतीयो की हत्या की। इससे पूर्व उन्होने एक अंग्रेज़ जनरल James George Smith Neill की नियुक्ति सन १८५७ई. में भारत में इसी कार्य के लिए की थी। इस अंग्रेज़ जनरल नील ने पूर्वी भारत में लगभग एक करोड़ से अधिक भारतीयों की हत्या बड़ी क्रूरता से करवाई , सैंकड़ों गांवों को जला दिया और बहुत अधिक अत्याचार किया। कानपुर के आसपास के सभी निरीह ब्राह्मणों की इसने बड़ी निर्ममता से हत्या करवा दी थी और अङ्ग्रेज़ी फौज में नौकरी करने वाले अनगिनत भारतीय सिपाहियों को भी इसने मरवा दिया। इसमें उसके साथी Henry Havelock जैसे अनेक अंग्रेज़ सैनिक अधिकारी भी शामिल थे। कानपुर के पास बिठूर में तो मनुष्यों के साथ साथ वहाँ के पशु-पक्षियों की भी हत्या कर दी गई। कोई कुत्ते-बिल्ली जैसे प्राणी भी वहाँ जीवित नहीं बचे थे।
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भारत तो भगवान की कृपा से ही बचा हुआ है। भारत के विभाजन और भारत को निर्बल रखने की योजना में ब्रिटेन के साथ-साथ अमेरिका और अन्य पश्चिमी शक्तियाँ भी थीं। हमें अमेरिका से भी बहुत अधिक कूटनीति द्वारा सतर्क रहना चाहिए। अमेरिका में अभी भी इतनी सामर्थ्य है कि वह भारत में गृहयुद्ध करवा कर भारत को बहुत अधिक हानि पहुंचा सकता है।
कृपा शंकर
५ मई २०२२
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प्रख्यात विद्वान माननीय श्री अरुण कुमार उपाध्याय जी इस लेख पर टिप्पणी :--
"अंग्रेजों ने १८० करोड़ की हत्या की तथा ४५० खरब डॉलर की लूट की। केवल युद्ध में ३५० लाख मारे गये। तीन महाद्वीपों की तीन पीढ़ियों का क्रूर नरसंहार किया। उनके आने के पहले दोनों अमेरिका तथा आस्ट्रेलिया में मूल निवासियों की संख्या वर्तमान जनसंख्या से अधिक थी, क्योंकि बहुत क्षेत्र वीरान हो गये जो अब तक बस नहीं सके हैं। अभी भी युद्ध व्यवसाय से आय के लिए प्रति वर्ष करोड़ लोगों की हत्या कर रहे हैं। प्रत्यक्ष आक्रमण द्वारा ही वियतनाम, कोरिया तथा ईराक में २ करोड़ से अधिक लोगों की हत्या हुई जबकि किसी देश ने अमेरिका पर आक्रमण नहीं किया था।"
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