Friday, 6 May 2022

अक्षय-तृतीया और परशुराम-जयंती पर शिव-संकल्प और मंगल-प्रार्थना ---

 अक्षय-तृतीया और परशुराम-जयंती पर शिव-संकल्प और मंगल-प्रार्थना ---

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"हमारे पुण्य अक्षय हों, हमारा राष्ट्र परम वैभव को प्राप्त हो, हमारे राष्ट्र को सदा सही नेतृत्व मिले, कायरता का कोई अवशेष हम में न रहे, और हम सब के जीवन में परमात्मा की पूर्ण अभिव्यक्ति हो. ॐ ॐ ॐ !!"
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आज की जैसी परिस्थितियाँ हैं और वातावरण है उसमें हरेक घर-परिवार में कम से कम एक परशुराम जैसा व्यक्ति अवतार ले। राष्ट्र को एक नहीं, लाखों परशुरामों की आवश्यकता इस समय है, जो चारों ओर छाये हुए असत्य के अंधकार को दूर कर सत्य-सनातन-धर्म और भारतवर्ष का उद्धार कर उसकी रक्षा कर सकें। इस समय तो चारों ओर अधर्म और असत्य छाया हुआ है। सिर्फ परमात्मा के भरोसे, और परशुराम की प्रतीक्षा में जी रहे हैं।
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रामधारी सिंह दिनकर की कविताओं के कुछ अंश हैं ---
पत्थर सी हों मांसपेशियाँ, लौहदंड भुजबल अभय;
नस-नस में हो लहर आग की, तभी जवानी पाती जय।
जो सत्य जान कर भी न सत्य कहता है,
या किसी लोभ के विवश मूक रहता है,
उस कुटिल राजतन्त्री कदर्य को धिक् है,
यह मूक सत्यहन्ता कम नहीं वधिक है।
चोरों के हैं जो हितू , ठगों के बल हैं,
जिनके प्रताप से पलते पाप सकल हैं,
जो छल-प्रपंच, सब को प्रश्रय देते हैं,
या चाटुकार जन से सेवा लेते हैं;
यह पाप उन्हीं का हमको मार गया है,
भारत अपने घर में ही हार गया है।

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