वर्तमान समय में भगवान की भक्ति भगवान को पाने के लिए नहीं, धन को पाने के लिए होती है, चाहे कितना भी छल-कपट और असत्य बोलना पड़े ---
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वर्तमान समय में दो लाख में से संभवतः कोई एक व्यक्ति होता है, जो परमात्मा का साक्षात्कार यानि परमात्मा को उपलब्ध होना चाहता है। बाकी सभी के लिए परमात्मा एक साधन है जिसके माध्यम से वे धन और भोग-विलास को पाना चाहते हैं। वर्तमान समय में भगवान की भक्ति भगवान को पाने के लिए नहीं, धन को पाने के लिए होती है।
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किसी को सदगति नहीं चाहिए, नर्क/स्वर्ग किसने देखा है? यदि पास में धन है तो यहीं स्वर्ग है, धन के बिना सब कुछ नर्क है। छल-कपट, झूठ, अधर्म, बेईमानी, लूटमार -- सब धर्म है यदि उससे घर में लक्ष्मीजी आती हैं। भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहाँ अभी भी कुछ लोग संकटकाल में एक दूसरे की सहायता कर देते हैं। यह बात अन्य देशों में नहीं है। अमेरिका में तो जब भी कोई तूफान आता है तब पड़ोसी पड़ोसी को लूटना शुरू कर देता है। यही बात भारत से बाहर के सभी देशों में है।
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भारत में भी अब भारतीयत्व छुड़ा कर सब लोग अपने बच्चों को अंग्रेज़ बनाना चाहते हैं। समय का दोष है। लोगों का लक्ष्य धन की प्राप्ति ही रह गया है चाहे कितना भी छल-कपट और झूठ बोलना पड़े।
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मेरे जैसे लोग मूर्ख हैं जो भगवत्-प्राप्ति को जीवन का लक्ष्य मानते हैं। मैं तो मेरे धर्म का त्याग नहीं करूँगा चाहे मरना ही पड़े। किसी भी परिस्थिति में किसी से कुछ न तो कभी माँगूँगा और न ही कभी स्वीकार करूँगा।
ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !!
कृपा शंकर
२ मई २०२२
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