Sunday, 9 September 2018

वैदिक राष्ट्रगीत .....

वैदिक राष्ट्रगीत .....
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"ॐ सह नाववतु सह नौ भुनक्तु सह वीर्यं करवावहै | तेजस्वि नावधीतमस्तु माँ विद्विषावहै ||"
(हे परमात्मा ! हम (गुरू-शिष्य) दोनों की रक्षा करो, हम दोनों का पालन करो, हम दोनों साथ में रहकर तेजस्वी दैवी कार्य करें, हम दोनों का किया हुआ अध्ययन तेजस्वी और दैवी हो, और हम दोनों परस्पर एक दुसरे का द्वेष न करें|)
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ॐ आ ब्रम्हन्ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायतां
आस्मिन्राष्ट्रे राजन्य इषव्य
शूरो महारथो जायतां
दोग्ध्री धेनुर्वोढाअनंवानाशुः सप्तिः
पुरंधिर्योषा जिष्णू रथेष्ठाः
सभेयो युवाअस्य यजमानस्य वीरो जायतां|
निकामे निकामे नः पर्जन्यो वर्षतु
फलिन्यो न औषधयः पच्यन्तां
योगक्षेमो नः कल्पताम ||
ॐ ॐ ॐ !!
(इस राष्ट्र में ब्रह्मतेजयुक्त ब्राह्मण उत्पन्न हों| धनुर्धर, शूर और बाण आदि का उपयोग करने वाले कुशल क्षत्रिय जन्म लें| अधिक दूध देने वाली गायें हों| अधिक बोझ ढो सकें ऐसे बैल हों| ऐसे घोड़े हों जिनकी गति देखकर पवन भी शर्मा जाए| राष्ट्र को धारण करने वाली बुद्धिमान तथा रूपशील स्त्रियां हों| विजय संपन्न करने वाले महारथी हों| समय समय पर योग्य वर्षा हो, वनस्पति वृक्ष और उत्तम फल हों| हमारा योगक्षेम सुखमय बने|) ॐ ॐ ॐ !!

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