जिस तरह के समाचार मिल रहे हैं, उनके अनुसार हमारी अस्मिता पर खतरा दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है| प्रश्न हमारे अस्तित्व का है अतः अपनी रक्षा करना भी हमारा धर्म है| इस संसार में शक्तिशाली की ही पूछ है, शक्तिहीन को सब सताते हैं| "क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो"|
(१) हम हर दृष्टी से शक्तिशाली बनने का प्रयास करते रहें|
(२) हम अपने धर्म का पालन यथासंभव पूर्ण रूप से करें|
(३) सरकार के नियंत्रण से से सभी हिन्दू मंदिरों का अधिकार बापस लेकर धर्माचार्यों द्वारा चुनी हुई संस्था के आधीन करें| हम हिन्दू लोग बड़ी श्रद्धा से मंदिरों को दान देते हैं जिनका दुरुपयोग सरकार द्वारा किया जाता है| मंदिरों के धन का उपयोग सिर्फ धर्म प्रचार के लिए ही होना चाहिए|
(४) निज विवेक के प्रकाश में सारे कार्य करे| भगवान हमारी रक्षा करेंगे |
कृपा शंकर
७ सितम्बर २०१८
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