Sunday 9 September 2018

भूख लगने पर स्वयं को ही भोजन करना पड़ता है .....

भूख लगने पर स्वयं को ही भोजन करना पड़ता है, दूसरों द्वारा किये गए भोजन से खुद का पेट नहीं भरता .....
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एक बार एक ऐसी संस्था में जाने का काम पड़ा जहाँ के निवासी दिन-रात वहाँ की सेवा का कार्य करते रहते, पर स्वयं कोई साधना नहीं करते थे| मैंने इस बारे में उनसे पूछा तो उत्तर मिला कि हमारे गुरूजी ने बहुत तपस्या की, परमात्मा का साक्षात्कार किया, अब हमें कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है; हम उनका कार्य कर रहे हैं, वे ही हमें परमात्मा का साक्षात्कार करा देंगे|
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कुछ सम्प्रदाय वाले कहते हैं कि परमात्मा के एक ही पुत्र है, या एक ही पैगम्बर है, सिर्फ उसी में विश्वास रखो तभी स्वर्ग मिलेगा, अन्यथा नर्क की शाश्वत अग्नि में झोंक दिए जाओगे| उनका अंतिम लक्ष्य स्वर्ग की प्राप्ति ही है, जिसके लिए सिर्फ विश्वास ही करना है| कुछ सम्प्रदाय या समूह कहते हैं कि हमारे फलाँ फलाँ गुरु महाराज ही सच्चे और पूर्ण गुरु हैं, उन्हीं में आस्था रखो, उन्हीं की बात मानो, तभी बेड़ा पार होगा, अन्यथा नहीं| उन लोगों की दृष्टी में दूसरे गुरु सच्चे और पूर्ण गुरु नहीं हैं|
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मुझे तो उपरोक्त बातें कुछ जँचती नहीं हैं| कुछ लोग तो मिलने पर गले ही पड़ जाते हैं, समझाने से भी जाते नहीं हैं| फिर एक और आश्चर्य और होता है कि हम लोग स्वयं भी दूसरों के पीछे पीछे मारे मारे फिरते हैं कि संभवतः उनके आशीर्वाद से हमें परमात्मा मिल जाएगा| मैं स्पष्ट रूप से मानता हूँ कि स्वयं का किया हुआ आत्म-साक्षात्कार ही काम का है, दूसरे का साक्षात्कार नहीं| यह बात भी समझ में आती है कि जिसने परमात्मा को जान लिया उसे किसी का भय नहीं हो सकता| विराट तत्व को जानने से स्थूल का भय, और हिरण्यगर्भ को जानने से सूक्ष्म का भय नहीं रहता है
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किसी ब्रह्मनिष्ठ श्रौत्रीय सिद्ध महात्मा के सान्निध्य में पूर्ण विनय के साथ उपनिषदों व गीता का स्वाध्याय करने और साधना करने से सारे संदेह दूर हो सकते हैं पर हमारे शिष्यत्व में कमी नहीं होनी चाहिए| भगवान परम शिव हमारा निरंतर कल्याण कर रहे हैं| साधना तो हमें स्वयं को ही करनी होगी, इसमें कोई पतली गली नहीं है| आप सब को सादर नमन !
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
०४ सितम्बर २०१८

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