Sunday, 9 September 2018

परम आस्था व भक्तिभाव से भरी बाबा मालकेतु की २४ कौसीय परिक्रमा :-----

परम आस्था व भक्तिभाव से भरी बाबा मालकेतु की २४ कौसीय परिक्रमा :-----
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यह राजस्थान राज्य में होने वाली सबसे बड़ी धार्मिक परिक्रमा है जो लोहार्गल तीर्थ से ठाकुर जी की पालकी के साथ वैष्णव साधू-संतों के नेतृत्व में भाद्रपद कृष्ण नवमी (गोगा नवमी) को आरम्भ होकर क्षेत्र के सभी तीर्थों से होती हुई सातवें दिन अमावस्या को बापस लोहार्गल में आकर समाप्त हो जाती है| परिक्रमा हेतु २४ कोस पैदल ही चलना पड़ता है| परिक्रमा के पश्चात श्रद्धालु सूर्यकुंड में स्नान कर अपने अपने घरों को बापस लौट जाते हैं|
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मालकेतु पर्वत (१०५० मीटर ऊँचाई) अरावली पर्वतमाला में राजस्थान के झुंझुनूं जिले में विश्व प्रसिद्ध लोहार्गल तीर्थ में है| यह झुंझुनू से ७० की.मी.दूर उदयपुरवाटी कस्बे के पास नवलगढ़ तहसील में है| यह पूरा क्षेत्र एक तपोभूमि है जहाँ अनगिनत साधू-संतों ने तपस्या की है| अभी भी अनेक साधू-संत उस क्षेत्र में तपस्यारत मिल जायेंगे| अनेक प्राचीन मंदिर यहाँ हैं| यह स्थान पांडवों की प्रायश्चित स्थली है| यहाँ के सूर्यकुंड में स्नान करते समय पांडवों के सारे अस्त्र-शस्त्र पानी में गल गए थे|
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स्थानीय भाषा में लोहार्गल शब्द अपभ्रंस होकर लुहागर हो गया है| भगवान परशुराम जी ने भी पश्चाताप के लिए यहाँ अपने पापों से मुक्ति के लिए यज्ञ किया था| पास ही में महात्मा चेतनदास जी द्वारा निर्माण करवाई हुई एक विशाल बावड़ी भी है| यहाँ का प्राचीन मुख्य मंदिर सूर्य मन्दिर है जिसके साथ ही वनखण्डी जी का मन्दिर भी है| कुण्ड के पास ही प्राचीन शिव मन्दिर, हनुमान मन्दिर तथा पाण्डव गुफा स्थित है| पास ही में चार सौ सीढ़ियाँ चढने पर बाबा मालकेतु जी का मंदिर है| मालकेतु पर्वत को बाबा मालकेतु के रूप में पूजा जाता है| यह पर्वत एक सिद्ध स्थान हैं|
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प्राचीन काल में भगवान विष्णु के आशीर्वाद से यहाँ के पर्वतों से सात जलधाराएँ निकलीं ..... जो सूर्यकुंड, नागकुंड, खोरीकुंड, किरोड़ी, शाकम्भरी, टपकेश्वर महादेव, व शोभावती में गिरती हैं| भाद्रपद की गोगा नवमी से अमावस्या तक इन सातों धाराओं की पूजा की जाती है तथा सातों धाराओं के चारों ओर २४ कोसीय परिक्रमा लगाई जाती है|
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इस प्राचीन, धार्मिक, ऐतिहासिक स्थल के प्रति लोगों में अटूट आस्था है| भक्तों का यहाँ वर्ष भर आना-जाना लगा रहता है| यहाँ समय समय पर विभिन्न धार्मिक अवसरों जैसे ग्रहण, सोमवती अमावस्या आदि पर मेला लगता है| श्रावण मास में भक्तजन यहाँ के सूर्यकुंड से जल से भर कर कांवड़ उठाते हैं| यहाँ प्रति वर्ष माघ मास की सप्तमी को सूर्यसप्तमी महोत्सव मनाया जाता है, जिसमें सूर्य नारायण की शोभायात्रा के अलावा सत्संग प्रवचन के साथ विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है| पर भादवे में गोगा नवमी से अमावस्या तक होने वाली २४ कोसीय परिक्रमा का महत्त्व सबसे अधिक है|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
४ सितम्बर २०१८

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