Tuesday, 26 June 2018

भक्ति द्वारा ही भगवान को तत्त्वतः जाना जा सकता है, अन्यथा नहीं ....

भक्ति द्वारा ही भगवान को तत्त्वतः जाना जा सकता है, अन्यथा नहीं ....
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भगवान कहते हैं ..... "भक्त्या मामभिजानाति यावान्यश्चास्मि तत्त्वतः| ततो मां तत्त्वतो ज्ञात्वा विशते तदनन्तरम्||" १८:५५||

उपरोक्त श्लोक की अनेक स्वनामधन्य आचार्यों ने बहुत बड़ी बड़ी व्याख्याएँ की हैं| इस छोटे से पृष्ठ पर उन्हें उतारना असंभव है| भक्तिपूर्वक भगवान का ध्यान करने से ही यह समझ में आयेगा, बुद्धि से नहीं| जब भगवान स्वयं कह रहे हैं कि उन्हें सिर्फ भक्ति से ही जाना जा सकता है तो उसमें बुद्धि लगाने का कोई औचित्य नहीं है| मैं आचार्य शंकर, और आचार्य श्रीधर स्वामी जैसे अनेक सभी महान आचार्यों की वन्दना करता हूँ जो गीता का सही अर्थ जनमानस को समझा पाये|

हे भगवान वासुदेव, आप मेरे ह्रदय में स्थायी रूप से निरन्तर बिराजमान हैं| जब आप स्वयं प्रत्यक्ष यहाँ हैं तो मुझे और कुछ भी नहीं चाहिए| कुछ भी जानने और समझने की मुझे अब कोई आवश्यकता नहीं है|

ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२४ जून २०१८

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