Tuesday, 26 June 2018

हमारी सोच बड़ी विचित्र है .....

हमारी सोच बड़ी विचित्र है .....

(१) जब हम कोई अच्छा काम करते हैं तो भावना करते हैं कि भगवान उसे देख रहे हैं| उस समय भाव रखते हैं कि धर्म का काम कर रहे हैं तो इसका पुण्य अवश्य मिलगा|
(२) पर जब हम घूस लेते हैं, दूसरों को ठगते हैं, चोरी करते हैं, और झूठ बोलते हैं तब यह भाव रखते हैं कि किसी को कुछ नहीं पता, भगवान को भी नहीं मालुम है| स्वयं को न्यायोचित ठहराने के लिए स्वयं के गलत कृत्य को भगवती की लीला बताते हैं, और मानते हैं कि भगवान ही इसे करवा रहे हैं| अति धन्य हैं हम ! वाह ! वाह ! भगवान को भी अपने गलत काम में सहभागी बना लेते हैं|
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(३) सन १९९० के दशक में जब सभी सरकारी कार्यालयों में, बैंकों में और रेलवे आरक्षण में कंप्यूटर लगने आरम्भ हुए थे तब सभी कर्मचारियों ने पूरी शक्ति से इसका बिरोध किया था| कर्मचारियों ने कंप्यूटर खराब कर दिए थे और कम्प्युटरीकरण में कोई सहयोग नहीं दिया| पर समय की मांग के आगे हमें कंप्यूटर लगाने ही पड़े| अब तो बिना कंप्यूटर के काम करने की कोई सोच ही नहीं सकता| उस जमाने में बिना घूस दिए रेलवे में आरक्षण प्रायः नहीं ही मिलता था, बिना घूस लिए टेलीफोन ऑपरेटर ट्रंक कॉल नहीं मिलाते थे| टेलिफोन के अनाप-शनाप बढे हुए बिल आते थे, कहीं कोई सुनवाई नहीं होती थी| पूरे भारत में घूस देना एक शिष्टाचार हो गया था| कम्प्यूटरीकरण से बहुत अधिक लाभ हुआ है| भ्रष्टाचार में बहुत अधिक कमी आई है|
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(४) मोबाइल फ़ोन आये तब भी लोगों ने खूब हँसी उड़ाई थी और तत्कालीन केन्द्रीय संचार मंत्री पं.सुखराम के बारे में बहुत अधिक ही अपशब्दों का प्रयोग हुआ था| कुछ भी हो मोबाइल फोन के प्रयोग को सामान्य बनाने में पं.सुखराम का बहुत बड़ा हाथ था| हालाँकि उन्हें बहुत अधिक ही अपमानित होना पड़ा था| अब तो मोबाइल फोन के बिना जीवन की कोई कल्पना ही नहीं कर सकता|
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(५) यही बात GST की है| GST का महत्त्व दो साल बाद लोगों की समझ में आयेगा| करों की चोरी इस देश का सबसे बड़ा व्यवसाय है| करों की चोरी भारत में इतनी अधिक है कि कोई भी व्यापारी ईमानदारी का व्यापार आरम्भ कर ही नहीं पाता| GST से इसी चोरी के धंधे पर चोट पड़ने वाली है, इसीलिए हायतौबा इतनी अधिक मची हुई है| सभी सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को घूस लेने की आदत पडी हुई है, बिना घूस लिए किसी का काम करने की वे सोच ही नहीं सकते| यदि हमें कर चोरी का अधिकार है तो .... पुलिस, न्यायपालिका व कार्यपालिका को भी घूस लेने का अधिकार है| यह सभ्यता विनाश की ओर तेजी से जा रही है| इसका नष्ट होना निश्चित है|
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(६) जब पंजाब में आतंकवाद समाप्त हुआ तब सभी ईमानदार पुलिस अधिकारियों को मानवाधिकार के नाम पर बहुत अधिक अपमानित होना पड़ा था| कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी तो आत्म-ह्त्या करने को बाध्य हो गए थे| उनके प्रशंसनीय कार्यों की सरकार ने ही सराहना नहीं की थी| इससे किसको लाभ हुआ?
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(७) भारत में आज परिस्थिति ऐसी बन रही है कि सरकारी लूट-खसोट करने वाले राजनेताओं व अधिकारियों को देश को लूटने के अवसर दिन प्रतिदिन कम होते जा रहे हैं| इसलिए वे प्रसन्न नहीं हैं| इसलिए वे संगठित होकर इस व्यवस्था को बदल देना चाहते हैं| यह पहली बार है कि भारत में एक ऐसी केन्द्रीय सरकार है जो गम्भीरता से जनता के लिए कार्य कर रही है, और भ्रष्ट नहीं है|
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फिर भी मैं आशावादी हूँ| यह चोरी, बेईमानी और अधर्म अधिक समय तक नहीं टिकेगा| भगवान की सृष्टि में अधर्म अधिक समय तक नहीं रहेगा|

ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
२५ जून २०१८

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