Tuesday 26 June 2018

मन में किसी कुंठा को जन्म न लेने दें .....

मन में किसी कुंठा को जन्म न लेने दें .....
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मुझे यह प्रेरणात्मक आभास होता है कि जीवन में मिलने वाले प्रगति के सारे अवसर, संयोग से नहीं, पुरुषार्थ से मिलते हैं| संयोग से मिले अवसर भी, पूर्व में अर्जित हमारे अच्छे कर्मों के फल होते हैं| हमारी क्षमता, कार्यकुशलता, दक्षता और सहायक वातावरण भी हमारे पूर्व में अर्जित अच्छे कर्मों के फल हैं| मुझे जीवन में अनेक सुअवसर मिले पर मैं उनका लाभ नहीं ले पाया क्योंकि मेरे पास उनका उपयोग करने की दक्षता व क्षमता नहीं थी| पर मैं किसी को दोष नहीं देता, क्योंकि यह मेरा प्रारब्ध था जो कि मेरे पूर्व कर्मों का फल था|
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किसी भी तरह की महत्वाकांक्षा हमारे मानस में गहराई से आये, उससे पूर्व ही हमें अपने पास उपलब्ध साधनों और अपनी निज क्षमता का आंकलन कर लेना चाहिए| इससे किसी कुंठा का जन्म नहीं होगा| कुंठित व्यक्ति कभी सुखी नहीं होते| हमारे विचार और संकल्प सदा शुभ हों| हमारे विचार और संकल्प ही हमारे कर्म होते हैं, जिनका फल भविष्य में निश्चित रूप से मिलता है|
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सारी कुंठाओं का एकमात्र कारण हमारी आकांक्षाओं और अपेक्षाओं का साकार नहीं होना है| आकांक्षाओं और अपेक्षाओं से मुक्ति तो भगवान की कृपा से ही मिलती है|
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सब को नमन और शुभ कामनाएँ ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२० जून २०१८

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