Wednesday, 23 November 2016

हे जगन्माता, हमारे जीवन में कहीं भी असत्य, अन्धकार, और अधर्म ना रहे .....

हे जगन्माता, हमारे जीवन में कहीं भी असत्य, अन्धकार, और अधर्म ना रहे .....
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हमें इतनी शक्ति, मार्गदर्शन, प्रेरणा, और सामर्थ्य दो कि हम अपने स्वयं के भीतर के, और हमारे राष्ट्र के भीतर और बाहर के सभी शत्रुओं का नाश कर सकें| हमारे जीवन में कहीं भी असत्य, अन्धकार और अधर्म न रहे| हमारी सभी बुराइयाँ और कमियाँ दूर हों|
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हम तुम्हारे अमृतपुत्र हैं| हम चट्टान की तरह अडिग हों, परशु की तरह तीक्ष्ण हों और स्वर्ण की तरह पवित्र हों| हमारे चरित्र में कोई कमी न हो| अपने आवरण को हटाकर हमारा परमशिव से एकाकार करो| माँ. तुम ही हमारी गति हो| हम तुम्हारी शरणागत हैं हमारा पूर्ण समर्पण स्वीकार करो|
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I am one with Thee. I am a perfect child of Thee. Reveal Thyself unto me. मैं तुम्हारे साथ एक हूँ, तुम्हारा पूर्ण पुत्र हूँ, स्वयं को मुझ में व्यक्त करें|
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ॐ सहना भवतु, सहनो भुनक्तु सहवीर्यं करवावहै ।
तेजस्वीनावधीतमस्तु माविद्विषावहै ॥
ॐ शांति:! शांति: !! शांति !!!
ईश्वर हमारा रक्षण करे - हम सब मिलकर सुख का लाभ ले - एक दुसरे के लाभ हेतु प्रयास करें -हम सबका जीवन तेज से परिपूर्ण हो - परस्पर कोई द्वेष या ईर्षा न हो ॥

ॐ शांति शांति शांति|
ॐ तत्सत् | शिवोहं शिवोहं अयमात्माब्रह्म | ॐ ॐ ॐ ||

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