Wednesday, 23 November 2016

जिनके जीवनसाथी भारत में प्रसन्न नहीं हैं वे भारत छोड़कर किसी अन्य देश में चले जाएँ तो राष्ट्र का बड़ा हित होगा .....

जिनके जीवनसाथी भारत में प्रसन्न नहीं हैं वे भारत छोड़कर किसी अन्य देश में चले जाएँ तो राष्ट्र का बड़ा हित होगा .....
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मैं राष्ट्रहित में ही यह लिख रहा हूँ ......
>>>> जिनकी पत्नियाँ या पति भारत में प्रसन्न नहीं हैं वे भारत छोड़कर किसी दूसरे देश में चले जाएँ तो बहुत अच्छा होगा| जो भारत में प्रसन्न नहीं हैं वे चले ही जाएँ| यहाँ बचे सब लोगों का बहुत ही भला होगा| जहाँ प्रसन्नता है वहीँ रहना चाहिए|<<<<
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आज से तीस वर्ष पूर्व की बात है| सन 1985 में जापान के कोबे नगर में एक भारतीय इंजिनियर जो मूल रूप से कोलकाता के थे, से मेरा घनिष्ठ परिचय हुआ| जीवन से वे बड़े असंतुष्ट थे| उनकी असंतुष्टि उनकी जापानी पत्नी से जन्मे दो बड़े बड़े बालकों को वे कैसे संस्कार दें, इस दुविधा के कारण थी| जापान में पैसा तो उन्होंने खूब कमाया और टोक्यो में अपना एक बहुत मंहगा निजी मकान भी खरीद रखा था|
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वे कोलकाता में अपने माता-पिता की सेवा करना चाहते थे और उनके साथ ही रहना चाहते थे| बालकों को भी हिन्दू संस्कार देना चाहते थे| पर उनकी पत्नी न तो भारत में रहने को तैयार थी और न उनके माता-पिता को साथ रखना चाहती थी| बच्चों को भी वह जापानी ही बनाना चाहती थी| अंततः उन्होंने आपस में यह निर्णय लेकर कि बच्चे बड़े होकर स्वयं यह तय करें कि वे कहाँ रहेंगे, बच्चों को पढने अमेरिका में लॉस-एंजिलिस भेज दिया| वे स्वयं वहीँ जापान में प्रसन्न थे अतः अंततः वहीँ के हो गए|
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जिनकी पत्नियाँ या पति भारत में असुरक्षित या भयभीत हैं वे अमेरिका या ब्रिटेन चले जाएँ| अंग्रेजों के साथ वे बड़े सुखी रहेंगे| उन सब को मेरी शुभ कामनाएँ| धन्यवाद|
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पुनश्चः :----- अमेरिका के राष्ट्रपति और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री आपके स्वागत के लिए वहां के हवाईअड्डे पर तैयार खड़े हैं अतः जाने में विलम्ब न करें| धन्यवाद !


24 November 2015

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