Wednesday 23 November 2016

परमात्मा की उपासना मनुष्य का स्वाभाविक धर्म है .....

परमात्मा की उपासना मनुष्य का स्वाभाविक धर्म है .....
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ईश्वर उपासना मनुष्य का स्वभाविक धर्म है, वैसे ही जैसे नदियों का धर्म महासागर में मिल जाना है| कोई भी नदी जब तक महासागर में नहीं मिलती तब तक चंचल और बेचैन रहती है| समुद्र में मिलते ही नदी समुद्र के साथ एक हो जाती है| उपासना विकास की प्रक्रिया है, जो शरणागति और समर्पण द्वारा मनुष्य को परमात्मा से एकाकार कर देती है|

एक बार परमात्मा से परम प्रेम हो जाए फिर आगे का मार्ग स्वतः ही प्रशस्त हो जाता है| ॐ ॐ ॐ ||

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