Wednesday 23 November 2016

सामूहिक प्रार्थना ......

सामूहिक प्रार्थना ......
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प्रार्थना की एक विधि है जो बहुत प्रभावी है| सामान्यतः प्रार्थना जन कल्याण के लिए ही होती है| हम समष्टि का यानि सभी का भला चाहते हैं इसीलिए प्रार्थना करते हैं| समष्टि के कल्याण में ही हमारा कल्याण है|
उपास्य देव को या किसी को नमन और प्रार्थना करने के लिए परम्परागत रूप से हम हाथों को जोड़कर गले के सामने लाते हैं और सिर झुकाते हैं|
 

ध्यान दीजिये जब हम हाथ जोड़ते हैं तब दोनों हाथ विशुद्धि चक्र के सामने होते हैं, और सिर झुकाते ही अंगूठे स्वतः ही भ्रूमध्य को स्पर्श कर जाते हैं|
उस समय अनायास ही हमारी अँगुलियों से सूक्ष्म स्पस्न्दन सामने उपास्य तक निश्चित पहुँच जाते हैं|

जब हम बहुत भाव विह्वल होकर प्रार्थना करते हैं तब हमारे दोनों हाथ अपने आप ही ऊपर उठ जाते हैं, जैसे "जय जय श्री राधे" या "हर हर महादेव" बोलते समय हो जाते हैं| उस समय हमारी अँगुलियों से दिव्य स्पंदन निकल कर ब्रह्मांड में फ़ैल जाते हैं और सभी का भला करते हैं| इस विधि का प्रयोग प्रायः मैं नित्य करता हूँ और बड़ी अच्छी अनुभूतियाँ होती हैं|

उपरोक्त प्रक्रिया की वैज्ञानिकता पर विचार कर के मैं इस निर्णय पर पहुँचा हूँ......
अनाहत चक्र और आज्ञाचक्र के मध्य का क्षेत्र एक गहन चुम्बकीय क्षेत्र है| इसके मध्य में हम यदि हथेलियों का घर्षण करेंगे या एक दुसरे के चारों ओर चक्राकार तीब्र गति से घुमाएँगे तो हमारी अँगुलियों में एक विद्युत ऊर्जा उत्पन्न होती है, यानि एक सूक्ष्म electromotive force का induction होता है|
इस अवधि में हमारी दृष्टी भ्रूमध्य पर होनी चाहिए| जब हमें लगे कि हमारी अंगुलियाँ ऊर्जा से भर गयी हैं, तब हम अपने दोनों हाथों को ऊपर उठायें और ओम् की ध्वनी के साथ उस ऊर्जा को किसी संकल्प के साथ छोड़ दें| उसी समय से वह संकल्प पूरा होना आरम्भ हो जाएगा| यह संकल्प हम जन-कल्याण के लिए भी कर सकते हैं और किसी को रोग मुक्त करने के लिए भी| यह प्रयोग समष्टि के कल्याण हेतु नित्य कीजिये| समष्टि के कल्याण में ही हमारा कल्याण है|

यदि हम एक समूह में खड़े होकर नित्य एक निश्चित समय पर उपरोक्त विधि से समष्टि के कल्याण के लिए परमात्मा से प्रार्थना करेंगे तो हमारी प्रार्थनाएँ भी प्रभावी होंगी और हम परमात्मा के उपकरण भी होंगे| सच्चे ह्रदय से की गयी सामूहिक प्रार्थनाएँ बहुत अधिक प्रभावी होती हैं| जितना हम देंगे उससे अधिक प्राप्त करेंगे|

ॐ तत्सत् | ॐ नमः शिवाय | ॐ ॐ ॐ ||

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