Sunday, 26 September 2021

भारत का उत्थान और सनातन धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा व वैश्वीकरण ---

(१) हमारे निज जीवन में परमात्मा की पूर्ण अभिव्यक्ति हो।
(२) सनातन-धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा और वैश्वीकरण हो।
(३) भारत में व्याप्त असत्य के अंधकार का पूरी तरह पराभव हो, और भारत एक सत्यनिष्ठ, धर्मसापेक्ष, अखंड हिन्दू-राष्ट्र बने, जहाँ की राजनीति सत्य-सनातन-धर्म हो।
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हिन्दुत्व क्या है? -- हिन्दुत्व एक ऊर्ध्वमुखी चेतना है जिसका लक्ष्य जीवन में भगवत्-प्राप्ति है। वह प्रत्येक व्यक्ति हिन्दू है जिसके हृदय में भगवान के प्रति परमप्रेम है, जिसका आचरण सत्यनिष्ठ है और जो निज जीवन में भगवान को प्राप्त करना चाहता है; चाहे वह इस पृथ्वी पर कहीं भी रहता हो। आत्मा की शाश्वतता, कर्मफल, पुनर्जन्म, भक्ति, आध्यात्म और ईश्वर की उपासना -- ये ही सनातन सिद्धान्त हैं, जिनसे यह सृष्टि चल रही है।
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इन्हीं उद्देश्यों के लिए हमारी आध्यात्मिक साधना है, जिसके लिए परमात्मा से पूरा मार्गदर्शन प्राप्त है। इसके अतिरिक्त मुझ अभी तो इस समय और कुछ भी नहीं कहना है।
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मेरी रुचि सब ओर से सिमटकर एक ही बिन्दु पर आ गई है, और वह है भारत का उत्थान और सनातन धर्म का वैश्वीकरण। किसी व्यक्ति विशेष में मेरी कोई रुचि नहीं है, और न ही मेरे पास किसी व्यक्ति विशेष के लिए समय है।
भगवान ने इसके लिए मार्गदर्शन भी किया है। साधना का जो मार्ग भगवान ने दिखाया है, उसे मेरे एक-दो घनिष्ठ सत्संगी मित्रों के अतिरिक्त अन्य कोई नहीं समझ सकता। एक-दो मित्र हैं जिनसे मैं कभी कभी संपर्क कर लेता हूँ। वे भी इसी पथ के अनुयायी हैं और भगवान को पूरी तरह समर्पित हैं। अब पीछे मुड़कर देखने का समय नहीं है। इस विषय पर और अधिक कुछ लिखने की अनुमति भगवान से नहीं है। जैसा भी भगवान चाहेंगे, वैसा ही होगा। लेकिन हृदय में जो अभीप्सा की प्रचंड अग्नि जल रही है, उसे केवल भगवान ही तृप्त कर सकते हैं, और करेंगे भी।
ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !!
कृपा शंकर
२५ सितंबर २०२१

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