अब समय आ गया है, भारत की उन्नति को कोई नहीं रोक सकता। सनातन धर्म की चेतना भी पूनर्प्रतिष्ठित और विश्वव्यापी होगी। लेकिन उसके लिए पहले हमें स्वाध्याय, तप, अध्ययन और साधना द्वारा अपनी आध्यात्मिक चेतना, और उच्च स्तर के अपने बौद्धिक ज्ञान को बढ़ाना होगा।
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भड़काऊ नारों, रोने, छाती पीटने, आत्मनिंदा और दूसरों की आलोचना से कोई लाभ नहीं होगा। हमें अब स्वयं तप करना होगा, अध्ययन करना होगा, और उच्च स्तर के ज्ञान को प्राप्त करना होगा; तभी दूसरे लोग हमारे से प्रभावित होंगे। हमारे चिंतन का स्तर उच्च होगा तो शीघ्रता से सब लोग हमारी ओर खिंचे चले आयेंगे। हम आध्यात्मिक रूप से उन्नत होंगे तो तो अगले चार-पाँच दशकों में पूरा ईसाई जगत -- सनातन धर्म को अपना लेगा। यह मैं स्वानुभूति से कह रहा हूँ।
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सनातन धर्म के विचार सम्पूर्ण मानवता के लिए हैं, किसी व्यक्ति या समाज विशेष के लिए नहीं। यूरोप, अमेरिका और सम्पूर्ण विश्व का कल्याण -- सनातन-धर्म के सिद्धांतों से ही हो सकता है। हमारी चेतना और चिंतन का स्तर उच्चतम हो, हीनता के बोध से हम मुक्त हों। ॐ स्वस्ति !! ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
२३ सितंबर २०२१
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