वर्तमान में कश्मीर की समस्या का एकमात्र मूल कारण है धारा ३७० और धारा ३५-A .....
.
राष्ट्रपति के अध्यादेश द्वारा इन दोनों धाराओं को निरस्त किये बिना कश्मीर की समस्या का कोई समाधान नहीं हो सकता| भारत में सभी नागरिकों को समान अधिकार होने चाहियें| एक देश में एक ही क़ानून सभी के लिए समान रूप से होना चाहिए| कश्मीरी लोग तो भारत में कहीं भी जाकर संपत्ति खरीद सकते हैं, पर भारत के अन्य भागों के लोग कश्मीर में नहीं| यह बहुत बड़ा अन्याय है| कश्मीर में कश्मीरी हिन्दुओं को बापस बसाया जाना चाहिए, साथ साथ जो भी भारतीय वहाँ जाकर बसना चाहे हे उसे वहाँ बसने की पूरी छूट होनी चाहिए| एक बार तो पूर्व सैनिकों को बहुत बड़ी संख्या में वहाँ बसाने की योजना बनानी चाहिए|
.
अब तक किये जाने वाले सारे प्रयास स्वयं को ही धोखा देने वाले थे| हमें स्वयं को ही धोखा देने और आत्म-मुग्ध होने में बड़ा आनंद आता है| हम स्वयं पहल कर के आततायी का सामना नहीं करना चाहते, बल्कि उसके द्वारा आक्रमण किये जाने की प्रतीक्षा करते रहते हैं| हमारी इस नीति में बदलाव आना चाहिए| शत्रु भाव रखने वाले की तैयारी पूर्ण हो, इस से पहले ही हमें उसे पहल कर के नष्ट कर देना चाहिए|
.
अपनी कायरता को हम बड़े बड़े शब्दों जैसे सद्भाव, अहिंसा, धर्म-निरपेक्षता, आदि आदि से ढँक कर स्वयं को गौरवान्वित अनुभूत करते हैं, पर वास्तव में यह हमारा दब्बूपन और भयभीत होना ही है| होना तो यह चाहिए कि हम अपने बालकों को गीता की यह शिक्षा बचपन से ही दें .....
"क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते| क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तप||२:३||
ॐ तत्सत !
१७ फरवरी २०१९
.
पुनश्चः :--- उपरोक्त विचार का कुछ बुद्धि-पिशाच विरोध करेंगे| उन बुद्धि पिशाचों की उपेक्षा कर दी जानी चाहिए| हमें वही सोचना चाहिए जो राष्ट्रहित में हो| जिस भी राक्षस के दिमाग में धारा ३७० और ३५-A का प्रारूप आया होगा वह निश्चित रूप से कोई बहुत बड़ा नर-पिशाच था|
.
राष्ट्रपति के अध्यादेश द्वारा इन दोनों धाराओं को निरस्त किये बिना कश्मीर की समस्या का कोई समाधान नहीं हो सकता| भारत में सभी नागरिकों को समान अधिकार होने चाहियें| एक देश में एक ही क़ानून सभी के लिए समान रूप से होना चाहिए| कश्मीरी लोग तो भारत में कहीं भी जाकर संपत्ति खरीद सकते हैं, पर भारत के अन्य भागों के लोग कश्मीर में नहीं| यह बहुत बड़ा अन्याय है| कश्मीर में कश्मीरी हिन्दुओं को बापस बसाया जाना चाहिए, साथ साथ जो भी भारतीय वहाँ जाकर बसना चाहे हे उसे वहाँ बसने की पूरी छूट होनी चाहिए| एक बार तो पूर्व सैनिकों को बहुत बड़ी संख्या में वहाँ बसाने की योजना बनानी चाहिए|
.
अब तक किये जाने वाले सारे प्रयास स्वयं को ही धोखा देने वाले थे| हमें स्वयं को ही धोखा देने और आत्म-मुग्ध होने में बड़ा आनंद आता है| हम स्वयं पहल कर के आततायी का सामना नहीं करना चाहते, बल्कि उसके द्वारा आक्रमण किये जाने की प्रतीक्षा करते रहते हैं| हमारी इस नीति में बदलाव आना चाहिए| शत्रु भाव रखने वाले की तैयारी पूर्ण हो, इस से पहले ही हमें उसे पहल कर के नष्ट कर देना चाहिए|
.
अपनी कायरता को हम बड़े बड़े शब्दों जैसे सद्भाव, अहिंसा, धर्म-निरपेक्षता, आदि आदि से ढँक कर स्वयं को गौरवान्वित अनुभूत करते हैं, पर वास्तव में यह हमारा दब्बूपन और भयभीत होना ही है| होना तो यह चाहिए कि हम अपने बालकों को गीता की यह शिक्षा बचपन से ही दें .....
"क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते| क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तप||२:३||
ॐ तत्सत !
१७ फरवरी २०१९
.
पुनश्चः :--- उपरोक्त विचार का कुछ बुद्धि-पिशाच विरोध करेंगे| उन बुद्धि पिशाचों की उपेक्षा कर दी जानी चाहिए| हमें वही सोचना चाहिए जो राष्ट्रहित में हो| जिस भी राक्षस के दिमाग में धारा ३७० और ३५-A का प्रारूप आया होगा वह निश्चित रूप से कोई बहुत बड़ा नर-पिशाच था|
समस्या के मूल को देखो, उसके लक्षणों को नहीं| कश्मीर की समस्या का मूल कारण है संविधान की धारा ३७० व धारा ३५-अ.
ReplyDeleteइनको निरस्त किये बिना कश्मीर की समस्या का कोई समाधान नहीं हो सकता| कश्मीर को दिया गया विशेष दर्जा समाप्त हो| जैसे भारत के अन्य राज्य हैं वैसे ही कश्मीर हो, कोई विशेष सुविधा नहीं| अब तक की हमारी कश्मीर नीति हमारी कायरता थी| साहस से काम लेना ही होगा|
अभी अभी कुछ मिनट पहिले ही टीवी पर समाचार आया कि और चार सैनिक पुलवामा में मारे गए हैं| सुरक्षा सेनाओं यानी सशस्त्र बलों की हर गतिविधी का पता आतंकवादियों को पहिले ही लग जाता है| बहुत ही कठोरता से इन रक्तबीजों का संहार करना होगा| इन नागों को अब और पालने की आवश्यकता नहीं है| ये हमें ही डसेंगे| कब तक कश्मीरी विषैले राजनेताओं की धमकियों से हम डरते रहेंगे?
ReplyDelete.
एक बार साहस कर के धारा ३७० और ३५-अ को तुरंत प्रभाव से समाप्त कर देना चाहिए| सभी भारतीयों को वहां बसने का अधिकार हो| अधिक से अधिक पूर्व सैनिकों को और कश्मीरी हिन्दुओं को वहाँ शीघ्रातिशीघ्र बसाया जाए| इसी से कश्मीर समस्या का अंत होगा| समान नागरिक संहिता लागू हो| एक देश में एक ही क़ानून हो समान रूप से सबके लिए| बिना धारा ३७० और ३५-अ को समाप्त किये कश्मीर में कुछ भी सुधार नहीं होगा|
भारत माता की जय ! वन्दे मातरं !
कश्यप ऋषि की तपोभूमि कश्मीर भारत की आत्मा का निवास है| कश्मीर का शारदा पीठ सरस्वती का धाम और वैदिक शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र था| आचार्य अभिनव गुप्त जैसे महान आचार्य और ललितादित्य जैसे महान सम्राट वहाँ हुए हैं| राजा ललितादित्य का राज्य उत्तर में कश्यप सागर से दक्षिण में कावेरी की तलहटी तक और पूर्व में आसाम तक विस्तृत था| श्रीनगर की स्थापना सम्राट अशोक ने की थी| वह कश्मीर सदा भारत का भाग था और रहेगा|
ReplyDelete