Sunday 29 April 2018

एक निवेदन :---

एक निवेदन :---

मैंने विगत में कभी भी किसी की शिकायत, निंदा या नकारात्मक आलोचना भूल कर भी की हो तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ| जिस मार्ग पर मैं चल रहा हूँ, वहाँ किसी भी प्रकार की नकारात्मकता का कोई स्थान नहीं है| एक ओर तो मैं समष्टि की सकारात्मक समग्रता का यानि पूर्णता का ध्यान करता हूँ जहाँ मेरे सिवा कोई अन्य नहीं है, वहीं यदि कोई कमी दिखाई देती है तो वह मेरी स्वयं की ही कमी है, क्योंकि अन्य तो कोई है ही नहीं|

यह सृष्टि प्रकाश और अन्धकार से बनी है, मेरा वर्त्तमान कार्य सिर्फ प्रकाश की ही वृद्धि करना है, उसके लिए स्वयं आलोकमय बनने का अभ्यास कर रहा हूँ|

कोई यदि (मेरे) इस शरीर की बुराई करता है तो वह संभवतः ठीक ही करता होगा क्योंकि यह शरीर (जो मैं नहीं हूँ) हो सकता है इसी योग्य हो| पर कोई आत्मा की बुराई करता है (जो मैं वास्तव में हूँ) तो वह स्वयं की ही बुराई कर रहा है|

हे प्रभु, आपने जहाँ भी मुझे रखा है वहाँ सब कुछ मंगलमय हो, वहाँ कुछ भी अप्रिय न हो|

ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२८ अप्रेल २०१८

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