Sunday 29 April 2018

"बलात्कार" शब्द को परिभाषित किया जाए .....

"बलात्कार" शब्द को परिभाषित किया जाए .....
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हर तरह का दुराचार तभी रुकेगा जब देश में चरित्रवान नागरिक जन्म लेंगे| इसके लिए अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय, और ईश्वर-प्रणिधान की शिक्षा देनी होगी|
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असली विकास आत्मा का विकास है, बाहरी नहीं| बाहरी भी हो पर साथ साथ आत्मा का भी हो| आत्मा का विकास होगा तो बाहरी विकास निश्चित है| संतान अच्छी और चरित्रवान हो इसके लिए भारत में सौलह संस्कार भी होते थे, जिन्हें हमने अपनी धर्म-निरपेक्षता के चक्कर में भुला दिया है|
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बाहरी उपक्रम कितने भी करो, कितनी भी अच्छी सड़कें और मकान बनाओ, या कितने भी पुरुषों को फांसी पर लटकाओ, उससे देश में लोग चरित्रवान नहीं बनेंगे| बच्चों को बाल्यकाल से ही ध्यान करना और परमात्मा से प्रेम करना सिखाना होगा, तभी वे चरित्रवान बनेंगे|
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आप नशा कर के, अश्लीलता का चिंतन कर के, और अभक्ष्य भक्षण कर के संतान पैदा करोगे तो वे बलात्कारी, घूसखोर और नर-पिशाच ही होंगे| समस्या की जड़ पर प्रहार करो, न कि उसके फलों पर| सिर्फ सजा से बलात्कार और दुराचार नहीं रुकने वाले, इस पर चिंतन करो कि देश में सज्जन पुरुष कैसे पैदा हों|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२५ अप्रेल २०१८

1 comment:

  1. स्वयं की रक्षा के लिए opposite sex से कभी एकांत में न तो मिलें और न उनका स्पर्श करें|
    झूठे आरोप मृत्यु की पीड़ा से कम नहीं हैं|

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