Sunday 29 April 2018

कुछ पाने की कामना माया का सबसे बड़ा अस्त्र है .....

कुछ पाने की कामना माया का सबसे बड़ा अस्त्र है .....
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आध्यात्म में कुछ पाने की कामना माया का सबसे बड़ा अस्त्र है| इससे मुक्त हुए बिना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकते| जब तक कुछ पाने की कामना है, हमें कुछ भी प्राप्त नहीं होता| कुछ पाने की कामना एक मृगतृष्णा है, किसी को कुछ नहीं मिलता| सब कुछ परमात्मा का है और सब कुछ "वह" ही है| हमें स्वयं को ही समर्पित होना पड़ता है| जो परमात्मा को समर्पित हो गया उसको सब कुछ मिल गया| बाकि अन्य सब को निराशा के अतिरिक्त कुछ भी नहीं मिलता|
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सब कुछ तो मिला हुआ ही है| पाने योग्य कुछ है तो "वह" ही है जिसे पाने के बाद कुछ भी प्राप्य नहीं है| "वह" मिलता नहीं है, उसमें स्वयं को समर्पित होना पड़ता है| कुछ करने से "वह" नहीं मिलता, कुछ होना पड़ता है| "वह" होने पर "वह" स्वयं ही सब कुछ है| परमात्मा एक प्रवाह है, उसे स्वयं के माध्यम से प्रवाहित होने दो| कोई अवरोध मत खड़ा करो| फिर पाएँगे कि वह प्रवाह हम स्वयं हैं| बातों से कुछ नहीं होगा, यह एक यज्ञ है जिस में स्वयं के अहंकार की आहुति देनी पड़ती है| हमें चाहिए बस सिर्फ एक प्रबल सतत अभीप्सा और परम प्रेम, अन्य कुछ भी नहीं| सारा मार्गदर्शन स्वतः ही स्वयं परमात्मा करते हैं|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२४ अप्रेल २०१८

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