Sunday 29 April 2018

मैं जातिगत एकता के पक्ष में नहीं हूँ .....

जो लोग जातिगत एकता की बातें करते हैं, मैं आध्यात्मिक रूप से उनका समर्थन नहीं करता हूँ| पर सामाजिक रूप से कभी कभी जातिगत एकता की बातें करना मेरी विवशता यानि मज़बूरी है क्योंकि भारत की वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था में अनारक्षित जातियों के विरुद्ध राजनीतिक अन्याय बहुत अधिक है|
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पर सत्य तो यह है कि चाहे किसी भी जाति की बात हो, जातिगत एकता की बात ही वेदविरुद्ध है| जो वेदविरुद्ध है वह हमें कभी भी स्वीकार नहीं होना चाहिए| श्रुति भगवती ब्रह्म से एकत्व सिखाती है, वहाँ कोई जाति की बात नहीं है| एकस्तथा सर्व भूतान्तरात्मा, अर्थात सब प्राणियों में एक ही आत्मा छिपा हुआ है| प्रत्यगात्मा और ब्रह्म में एकत्व है| जातिगत एकता की बात करने वाले अज्ञान और माया के वशीभूत हैं|
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मध्यकाल के संत दरिया साहिब ने भी कहा है .....
"जाति हमारी ब्रह्म है, माता पिता हैं राम| गृह हमारा शुन्य है, अनहद में विश्राम||"
हमारी जाति "अच्युत" है| अर्थात् जो भगवान की जाति है, वह ही हमारी जाति है| ब्रह्म ही सत्य है और संसार मिथ्या है| अतः ब्रह्म से एकत्व ही सच्चा एकत्व है, इन सांसारिक जातियों से नहीं|

ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२३ अप्रेल २०१८

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