Sunday 26 February 2017

मेरा परिचय .....

संशोधित व पुनर्प्रस्तुत. (26 फरवरी, 2012 को प्रस्तुत किया हुआ लेख)
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मेरा परिचय .....
I am the polestar of my shipwrecked thoughts .....
मैं ध्रुव तारा हूँ मेरे ही विखंडित विचारों का,
मैं पथ-प्रदर्शक हूँ स्वयं के भूले हुए मार्ग का.
मैं अनंत, मेरे विचार अनंत,
मेरी चेतना अनंत और मेरा अस्तित्व अनंत.
मेरा केंद्र है सर्वत्र,
परिधि कहीं भी नहीं.
मेरे उस केंद्र में ही मैं स्वयं को खोजता हूँ,
बस यही मेरा परिचय है.
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शिवोहम् शिवोहम् अहम् ब्रह्मास्मि .

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आत्मज्ञान, ज्ञान, अज्ञान, मोह, मोक्ष, सत्य, आत्मा, परमात्मा, माया, जीव, ब्रह्म, साधक, साधना, योग और वियोग आदि अनेक ------- अत्यधिक भारी भरकम शब्दों से मैं आज स्वयं को मुक्त कर रहा हूँ|
मैं इनका भार और नहीं ढो सकता|
ये सब अहं, प्राण, मन और बुद्धि की सीमाएँ हैं| इनसे परे भी कुछ ना कुछ अवश्य है| मेरी अभीप्सा अनंत है| वह अनन्त परम चैतन्य जो मैं स्वयं हूँ | ॐ ॐ ॐ ||

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