सनातन वैदिक धर्म की सम्पूर्ण विश्व में पुनर्प्रतिष्ठा यानि पुनर्स्थापना
के लिए ही भारतवर्ष का अस्तित्व अब तक बचा हुआ है| यह एक ऐसा कार्य है जिसे
पूरा करना भारतवर्ष की ही नियती में है|
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परमात्मा के प्रति अहैतुकी परम प्रेम, शरणागति, समर्पण, आत्मसाक्षात्कार और समष्टि के कल्याण की भावना सिर्फ सनातन धर्म में ही है| आध्यात्म और विविध दर्शन शास्त्रों का प्राकट्य जितना यहाँ हुआ है उतना अन्यत्र कहीं भी नहीं हुआ है|
बुरे से बुरा समय बीत चुका है| आने वाला समय अब अच्छे से अच्छा ही होगा|
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जब तक भारतवर्ष में आध्यात्म, भक्ति, परमात्मा के प्रति समर्पण और स्वधर्म की चेतना है तब तक भारत भारत ही रहेगा| हमें आवश्यकता है एक ब्रह्मतेज की जो अनेक साधकों की साधना से ही प्रकट होगा|
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मैं पूर्ण ह्रदय से प्रार्थना करता हूँ कि भगवान हम सब का कल्याण करें, हमारी अज्ञानता की ग्रंथियों का नाश करें, उनके स्वरुप का हमें बोध हो, और उनकी पूर्ण कृपा हम पर हो| हम सब के हृदय का सम्पूर्ण प्रेम उन्हें समर्पित हो|
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ॐ नमः शिवाय | ॐ शिव ! ॐ ॐ ॐ !
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परमात्मा के प्रति अहैतुकी परम प्रेम, शरणागति, समर्पण, आत्मसाक्षात्कार और समष्टि के कल्याण की भावना सिर्फ सनातन धर्म में ही है| आध्यात्म और विविध दर्शन शास्त्रों का प्राकट्य जितना यहाँ हुआ है उतना अन्यत्र कहीं भी नहीं हुआ है|
बुरे से बुरा समय बीत चुका है| आने वाला समय अब अच्छे से अच्छा ही होगा|
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जब तक भारतवर्ष में आध्यात्म, भक्ति, परमात्मा के प्रति समर्पण और स्वधर्म की चेतना है तब तक भारत भारत ही रहेगा| हमें आवश्यकता है एक ब्रह्मतेज की जो अनेक साधकों की साधना से ही प्रकट होगा|
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मैं पूर्ण ह्रदय से प्रार्थना करता हूँ कि भगवान हम सब का कल्याण करें, हमारी अज्ञानता की ग्रंथियों का नाश करें, उनके स्वरुप का हमें बोध हो, और उनकी पूर्ण कृपा हम पर हो| हम सब के हृदय का सम्पूर्ण प्रेम उन्हें समर्पित हो|
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ॐ नमः शिवाय | ॐ शिव ! ॐ ॐ ॐ !
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