Sunday, 26 February 2017

इस सृष्टि में देवासुर संग्राम सदा से चलता आया है .....

इस सृष्टि में देवासुर संग्राम सदा से चलता आया है और निरंतर सदा ही चलता रहेगा| जब तक यह सृष्टि है तब तक हमारे भीतर और बाहर ऐसे ही रहेगा| इस से मुक्त होने के लिए हमें स्वयं की चेतना को ऊपर उठाकर आध्यात्मिक साधना द्वारा इस द्वन्द्व और त्रिगुणात्मक सृष्टि की चेतना से परे जाना होगा| जीव जब तक स्वयं को शिवत्व में स्थापित नहीं कर लेता तब तक इसी द्वंद्व में फँसा रहेगा| अन्य कोई उपाय नहीं है|
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यह सृष्टि हमारे विचारों का ही घनीभूत रूप है| हम सब के विचार मिल कर ही इस सृष्टि के रूप में व्यक्त हो रहे हैं| इसी लिए हमारे शास्त्र कहते हैं कि हमारा हर संकल्प शिव संकल्प होना चाहिए, क्योंकि हर संकल्प पूरा अवश्य होता है| हमारे विचार, कामनाएँ, इच्छाएँ आदि पूर्ण अवश्य होती हैं| ये ही हमारे कर्म हैं जिनका फल अवश्य मिलता है| इनसे मुक्त हुए बिना काम नहीं चलेगा| हमारी हरेक समस्याओं के कारण भी हमारे भीतर है और समाधान भी हमारे भीतर ही है|
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शुभ कामनाएँ| हमारा हर संकल्प शिव संकल्प हो| हम जीव से शिव बनें, हम सब को पूर्णता की प्राप्ति हो|
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ॐ तत्सत् | ॐ नमः शिवाय | ॐ ॐ ॐ ||

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