Sunday 26 February 2017

समस्त सृष्टि ही भगवान शिव का नटराज के रूप में नृत्य है .....

समस्त सृष्टि ही भगवान शिव का नटराज के रूप में नृत्य है .....
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निरंतर हो रहे ऊर्जा खण्डों का प्रवाह, परमाणुओं का सृजन और विसर्जन, भगवान नटराज का नृत्य है| मूल रूप से कोई पदार्थ है ही नहीं, सब कुछ ऊर्जा है| उस ऊर्जा के पीछे भी एक विचार है, और उस विचार के पीछे भी एक परम चेतना है| वह परम चेतना और उससे भी परे जो है वह परम शिव है|
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मनुष्य की अति अल्प और सीमित बुद्धि द्वारा परमात्मा अचिन्त्य और अगम्य है| समय समय पर महापुरुषों ने मार्गदर्शन किया है कि परमात्मा के किस रूप का और कैसे ध्यान करना चाहिए|
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ह्रदय में जब परमात्मा के लिए परम प्रेम उत्पन्न होता है तब एक जिज्ञासु साधक को स्वतः ही भगवान से मार्गदर्शन प्राप्त होने लगता है| उसी का हमें अनुशरण करना चाहिए|
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लौकिक रूप से यही कहना उचित है कि अपनी अपनी गुरु-परम्परानुसार ही उपासना करनी चाहिए|
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भगवान् शिव की उपासना सबसे सरल और स्वाभाविक है| हम सब पर भगवान परम शिव की कृपा बनी रहे| शुभ कामनाएँ और नमन !
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ॐ नमः शिवाय | ॐ ॐ ॐ ||

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