Sunday, 26 February 2017

जीवन एक अनसुलझा रहस्य ..

जीवन एक अनसुलझा रहस्य .......
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जीवन में हम अनेक ऐसे स्वप्न देखते हैं, जो उस समय वास्तविक लगते है| पर समय बीतने पर वे सब बातें स्वप्नवत हो जाती हैं| जीवन में पता नहीं कितने और किस किस तरह के लोगों से मिला, कहाँ कहाँ गया, कहाँ कहाँ रहा, कितने आश्चर्य देखे, कितने विचार आये, कितने संकल्प किये, कितना अभिमान किया, कितनी पीड़ाएँ भोगीं, कितनी खुशियाँ मनाईं, कितनी उपलब्धियाँ मनाईं .......... वे सब अब स्वप्न सी लगती हैं|
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जीवन का रहस्य अभी तक अनसुलझा है| यह यात्रा यों ही चलती रहेगी| वाहन (देह) बदल जाते हैं पर यात्री (प्राणी) वो ही रहता है| सारी खुशियाँ, सारे दुःख, सारी उपलब्धियाँ ... सब स्वप्न हैं| कितनी भी लम्बी यात्रा कर लो पर अंततः यही पाते हैं कि ..... वो ही घोड़ा है और वो ही मैदान है|
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आप सब दिव्यात्माओं को नमन !
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

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