भारत को किसी भी परिस्थिति में वर्गसंघर्ष से बचना होगा .....
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वर्गसंघर्ष का अर्थ है समाज के एक वर्ग को दूसरे वर्ग से लड़ा देना| वर्गसंघर्ष की परिणिति ही गृहयुद्ध होता है जिसका लाभ विदेशी आक्रान्ताओं को मिलता है| भारतवर्ष में एक लम्बे समय से बहुसंख्यक-अल्पसंख्यक, अगड़ा-पिछड़ा-अतिपिछड़ा, मनुवाद-ब्राह्मणवाद, साम्प्रदायिक-धर्मनिरपेक्ष, गुलाम-आज़ाद, शोषक-दलित, आदि नामों से नए वर्गों की रचना कर उन्हें आपस में लड़ाने व गृहयुद्ध का षड्यंत्र रचा जाता रहा है|
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गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं की वर्ण-व्यवस्था स्वयं उनकी यानि परमात्मा की रचना है| मनुष्य के स्वाभाविक रूप से चार ही वर्ण हैं, अर्थात चार ही तरह के लोग हैं| मनु ने यह भी लिखा है कि जन्म से प्रत्येक व्यक्ति शुद्र होता है और संस्कारों व कर्मों से ऊपर उठता है| ब्राह्मण भी यदि तीन दिन तक संध्या न करे तो वह शुद्र बन जाता है|
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भगवान हमारी रक्षा करें........ कहीं भारत में गृहयुद्ध करवाने का आसुरी षड्यंत्र सफल न हो जाए| जय श्रीराम ! जयश्रीराम ! जय श्री राम !
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ | ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ | ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ||
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वर्गसंघर्ष का अर्थ है समाज के एक वर्ग को दूसरे वर्ग से लड़ा देना| वर्गसंघर्ष की परिणिति ही गृहयुद्ध होता है जिसका लाभ विदेशी आक्रान्ताओं को मिलता है| भारतवर्ष में एक लम्बे समय से बहुसंख्यक-अल्पसंख्यक, अगड़ा-पिछड़ा-अतिपिछड़ा, मनुवाद-ब्राह्मणवाद, साम्प्रदायिक-धर्मनिरपेक्ष, गुलाम-आज़ाद, शोषक-दलित, आदि नामों से नए वर्गों की रचना कर उन्हें आपस में लड़ाने व गृहयुद्ध का षड्यंत्र रचा जाता रहा है|
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गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं की वर्ण-व्यवस्था स्वयं उनकी यानि परमात्मा की रचना है| मनुष्य के स्वाभाविक रूप से चार ही वर्ण हैं, अर्थात चार ही तरह के लोग हैं| मनु ने यह भी लिखा है कि जन्म से प्रत्येक व्यक्ति शुद्र होता है और संस्कारों व कर्मों से ऊपर उठता है| ब्राह्मण भी यदि तीन दिन तक संध्या न करे तो वह शुद्र बन जाता है|
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भगवान हमारी रक्षा करें........ कहीं भारत में गृहयुद्ध करवाने का आसुरी षड्यंत्र सफल न हो जाए| जय श्रीराम ! जयश्रीराम ! जय श्री राम !
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