Sunday 28 August 2016

भगवान श्रीकृष्ण निरंतर हमारे कूटस्थ में हैं .....

भगवान श्रीकृष्ण निरंतर हमारे कूटस्थ में हैं .....
 .
अपनी साँसों से
हमारे मेरुदंडस्थ
सप्तचक्रों की बांसुरी में
सप्तसुरों की तान
बजा रहें हैं |
.
हमारे भीतर वे ही साँस ले रहे हैं| उनकी साँस से ही हमारी साँस चल रही है| उनके सप्त स्वरों से मिल कर प्रणव ध्वनि यानि अनाहत नाद ध्यान में हमें निरतर सुनाई दे रही है| ज्योतिर्मय ब्रह्म के रूप में वे ही हमारी दृष्टी में निरतर बने हुए हैं| उनका जन्म हमारे चित्त में निरंतर हो रहा है| उनकी चेतना से हमारा चित्त आनंदमय है|
.
ॐॐॐ!!

No comments:

Post a Comment