Sunday 28 August 2016

ध्यान साधकों को एक सुझाव .....

जो लोग ध्यान साधना करते हैं उनको मैं मेरे लंबे अनुभव से एक सुझाव देना चाहता हूँ|
आप चाहे किसी भी गुरु परम्परा का अनुसरण करते हों पर नीचे लिखी कुछ बातें आपकी साधना में बहुत सहायक होंगी|
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ध्यान से पूर्व कुछ देर तक तेजी से चलना, फिर सूर्य नमस्कार, अनुलोम-विलोम प्राणायाम और पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करें| प्रार्थना करके पूर्व या उत्तर की ओर मुँह कर के ऊनी कम्बल पर पद्मासन या सिद्धासन में बैठें और आतंरिक प्राणायाम, अजपा-जाप और ओंकार पर ध्यान करें| थोड़े थोड़े अभ्यास से आपका ध्यान बहुत गहरा होने लगेगा| खेचरी मुद्रा भी किसी योग्य योगाचार्य से सीखें और अभ्यास करें| ध्यान में पूर्णता खेचरी मुद्रा की सिद्धि के उपरांत ही आएगी|
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एक ही आसन पर बैठे बैठे यदि थक जाएँ तो फिर दो-तीन बार पश्चिमोत्तानासन आधारित महामुद्रा का अभ्यास करें और गहरी साँसें लें| थकान दूर हो जायेगी| यदि आपकी कमर और गर्दन में तकलीफ है तो डॉक्टर को पूछे बिना कोई भी योगासन ना करें|
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ध्यान के बाद योनी-मुद्रा आदि का अभ्यास करें| जब भी पर्याप्त समय मिले, लंबे समय तक ओंकार पर ध्यान करें और गुरुप्रदत्त मंत्र का यथासंभव अधिकाधिक जाप करें| ध्यान का समापन सर्वस्व के प्रति प्रार्थना कर के ही करें|
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रात्रि को सोने से पूर्व खूब खूब गहरा ध्यान कर के निश्चिन्त होकर जगन्माता की गोद में सो जाएँ| प्रातःकाल परमात्मा का चिंतन करते हुए ही उठें| दिन का प्रारम्भ परमात्मा के ध्यान से ही करें|
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पूरे दिन परमात्मा का अनुस्मरण करते रहें| कुसंग का सर्वदा त्याग, सत्संग और प्रेरणास्पद सद्साहित्य का स्वाध्याय करते रहें|
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अपने विचारों का ध्यान रखें| हम जो कुछ भी हैं वह अपने अतीत के विचारों से हैं| हम भविष्य में वही होंगे जैसे वर्तमान में हमारे विचार हैं|
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सभी को शुभ कामनाएँ | ॐ नमः शिवाय | ॐ ॐ ॐ ||

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