कुछ ज्योतिर्मय इतना आलोक लेकर आते हैं कि उनके जाने के बाद भी प्रकाश ही प्रकाश रह जाता है|
हम सब भी उसी ज्योति और प्रेम की अभिव्यक्ति हैं|
जीवन की सार्थकता इसी में हैं कि हम परमात्मा को पूर्णतः समर्पित होकर स्वयं ज्योतिर्मय बनें|
.
हम प्रभु को समर्पित पुष्प बनें
जब उसकी उपस्थिति की रश्मियों से
भक्ति पल्लवित होगी
तब उसकी महक
हमारे ह्रदय से
सभी हृदयों में व्याप्त हो जाएगी
.
ॐ ॐ ॐ || अयमात्मा ब्रह्म ||
हम सब भी उसी ज्योति और प्रेम की अभिव्यक्ति हैं|
जीवन की सार्थकता इसी में हैं कि हम परमात्मा को पूर्णतः समर्पित होकर स्वयं ज्योतिर्मय बनें|
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हम प्रभु को समर्पित पुष्प बनें
जब उसकी उपस्थिति की रश्मियों से
भक्ति पल्लवित होगी
तब उसकी महक
हमारे ह्रदय से
सभी हृदयों में व्याप्त हो जाएगी
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ॐ ॐ ॐ || अयमात्मा ब्रह्म ||
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