Sunday 28 August 2016

गोरी त्वचा के प्रति आकर्षण हमारी मानसिक दासता यानि गुलामी का प्रतीक है .......

गोरी त्वचा के प्रति आकर्षण
हमारी मानसिक दासता यानि गुलामी का प्रतीक है .......
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गोरी चमड़ी के प्रति आकर्षण इंगित करता है कि हम अभी भी मानसिक रूप से गुलाम हैं| भारत में चमड़ी को गोरी बनाने के नाम पर हर वर्ष करोड़ों रूपये के लेप और क्रीमें बिकती हैं जिनसे आज तक तो कोई गोरा बना नहीं है पर उनका निर्माण करने वाली विदेशी कम्पनियाँ हम भारतीयों की इस कमजोरी का लाभ उठाकर हर वर्ष करोड़ों रूपये हम से ठग कर ले जाती हैं|
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अँगरेज़ और पुर्तगाली जब भारत में आये थे उस समय उनका मुख्य व्यवसाय समुद्रों में डकैती डालना और लोगों को गुलाम बनाकर बेचना था| मूल रूप से वे समुद्री डाकू थे| गुलामों के व्यापार में इंग्लैंड की महारानी की भी भागीदारी थी| उन्होंने भारत के मुग़ल शासकों की गोरी चमड़ी के प्रति कमजोरी को पहिचाना और उन्हें गोरी चमड़ी की फिरंगी दासी युवतियाँ, हब्सी गुलाम और अच्छी शराब भेंट में देकर भारत में व्यापारिक सुविधाएँ प्राप्त कीं|
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अंग्रेजों के शासनकाल में भारतीयों में यह हीन भावना बैठ गयी थी कि गोरी चमड़ी वाले फिरंगी हमारे से श्रेष्ठ प्राणी हैं| तभी से भारत में गोरा बनने की भूख बढ़ गयी, विशेषकर महिलाओं में गोरी मेम साहिबा जैसी बनने की| फिरंगी अँगरेज़ भी कुछ भारतीयों को पुरुष्कृत करने के लिए उन्हें साथ में बैठाकर शराब पीने और नाचने के लिए फिरंगी औरतों की व्यवस्था कर देते थे| कांग्रेस की स्थापना भी एक क्लब के रूप में हुई थी जहाँ अँगरेज़ परस्त भारतियों को आकर्षित करने के लिए फिरंगी औरतों के साथ शराब पीने, नाचने गाने और मौज मस्ती की व्यवस्था थी|
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अंग्रेजों व अन्य विदेशियों ने भारतीयों की इस कमजोरी का लाभ उठाया जिसके दुष्परिणामों को हम आज तक भुगत रहे हैं| इस विषय पर अनेक पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं और अनेक लेख उपलब्ध हैं| पामेला माउन्टबेटन के माध्यम से अंग्रेजों ने सता हस्तांतरण से पूर्व और पश्चात् भी हम भारतियों को गुलाम बनाये रखा और अपनी नीतियाँ क्रियान्वित कीं| भारत में आज की सबसे बड़ी ज्वलंत समस्या इसी के कारण है| बाद में भी जो होता रहा वह सबको पता है| आज भी हम फिरंगियों की भाषा व संस्कृति के गुलाम हैं और स्वतत्र होने का ढोंग कर रहे हैं|
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भारत में सर्वत्र जब भी शादी विवाह होते हैं तब सबसे पहिले लड़के लड़की की त्वचा का रंग देखा जाता है, फिर चेहरे का कोण, और बाद में अन्य गुण|
आप भारत के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर, और बड़े बड़े होटलों में भी देख सकते हैं कि वहाँ गोरे और काले आगंतुकों के साथ अलग अलग सा व्यवहार होता है| यह हमारी हीन भावना है|
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अब और तो कर भी क्या सकते हैं क्योंकि असहाय हैं| भगवान् से प्रार्थना ही कर सकते हैं कि भारत में भारतीयों को गोरी त्वचा के मोह, आकर्षण और गुलामी से बचाए|
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ॐ तत्सत् | ॐ नमः शिवाय | ॐ ॐ ॐ ||

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