Sunday 28 August 2016

बुराई और भलाई साथ साथ नहीं रह सकतीं .........

बुराई और भलाई साथ साथ नहीं रह सकतीं .........
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भीष्म में इतनी तपस्विता थी की महाभारत युद्ध में उन्होंने भगवान श्री कृष्ण को भी अपना वचन भंग कर शस्त्र उठाने को बाध्य कर दिया| पर उन्हें मरना पडा| स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को भीष्म को धराशायी करने की आज्ञा दी| क्योंकि भीष्म अहंकार के प्रतीक थे| उनके लिए न्याय-अन्याय, धर्म-अधर्म का कोई महत्व नहीं था| उन्हें मतलब था तो सिर्फ अपनी प्रतीज्ञा से, अपने अहंकार से| वे बुराई और भलाई दोनों को साथ साथ देखना चाहते थे| अंधकार और प्रकाश दोनों साथ साथ नहीं रहा सकते| वैसे ही आज के ये तथाकथित धर्म-निरपेक्ष और बुद्दिजीवी लोग हैं| भविष्य इन्हें क्षमा नहीं करेगा|
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वैसे भी यह वर्त्तमान सभ्यता है जो अति द्रुत गति से विनाश की ओर जा रहीं है| इसके विनाश को कोई नहीं रोक सकता| भारत में जिस गति से भूजल का दोहन हो रहा है, आज से बीस-बाईस वर्ष पश्चात भारत में भूजल समाप्त हो जाएगा|
धर्म की उपेक्षा के कारण अधर्म का निरंतर विस्तार हो रहा है| मनुष्या का लोभ और अहंकार निरंतर बढ़ रहा है| जिस प्रकार गत दो विश्व युद्धों का कारण मनुष्य का लोभ, अहंकार और घृणा थी वैसे मनुष्य का लोभ, अहंकार और घृणा ही उसके विनाश का कारण बनेंगे| मनुष्य जाति ने दुर्बल प्राणियों पर जो क्रूर अत्याचार किये हैं उस का भी मुल्य उसे नष्ट होकर ही चुकाना पड़ेगा| विश्व का घटना-क्रम जिस तरह से घटित हो रहा है मुझे तो अति निकट भविष्य में विनाश के लक्षण स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं|
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रक्षा उन्ही की होगी जिनका आचरण धर्ममय होगा और जो भगवान की शरणागत होंगे| धर्म से मेरा अर्थ किसी मत या पंथ यानि Religion से नहीं है| धर्म की मेरी अवधारणा वह है जो सनातन भारतीय संस्कृति की रही है|
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धर्म की पुनर्स्थापना होगी| मुझे तो यह भी लगता है कि जैसे डायनासोर आदि प्रजातियाँ विलुप्त हो गईं वैसे ही यह मनुष्य जाति भी विलुप्त हो जायेगी| एक नए अतिमानुष और अतिमानुषी चेतना का अवतरण होगा| वह अतिमानुष ही धर्म की पुनर्स्थापना और इस पृथ्वी पर राज्य करेगा|

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