Saturday, 9 July 2016

क्या भारत की उन्नति फिरंगियों की गुलामी से हुई है ? .....

क्या भारत की उन्नति फिरंगियों की गुलामी से हुई है ? .....
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भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अनेक प्रधानमंत्री विश्व बैंक के वेतन भोगी कर्मचारी रहे हैं| भारत के एक प्रसिद्ध प्रधानमंत्री स्वयं विश्व बैंक के वेतनभोगी कर्मचारी रहे थे | उनके सचिव और महत्वपूर्ण अधिकारी भी विश्व बैंक के कर्मचारी रह चुके थे| कई लोग अपनी सेवाएँ यहाँ (उपनिवेश भारत में) देकर बापस विश्व बैंक में चले गए|
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भारत के एक प्रसिद्ध प्रधान मंत्री को कैंब्रिज विश्वविद्यालय से PhD की डिग्री उनके इस शोध पर मिली कि भारत की प्रगति का कारण भारत पर अंग्रेजों का दो सौ वर्षों का शासन है| उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री होते हुए भी अंग्रेजों को भारत पर शासन करने के लिए इंग्लैंड में सार्वजनिक रूप से धन्यवाद दिया था| भारत के ये प्रधानमंत्री महोदय जो विदेशों में पढ़े-लिखे, अनेक विदेशी डिग्रियों से युक्त थे, अपनी स्मृति से कुछ भी नहीं बोल पाते थे| उनका भाषण पहले से तैयार होता जिसे जेब से निकाल कर पढ़ देते| हिंदी बोलना तो अपना अपमान समझते|
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उनकी इस शोध का विरोध जापान के नागासाकी विश्वविद्यालय के एक प्रोफ़ेसर ने किया, जिन्होनें सिद्ध किया कि भारत और चीन का सन १८०० ई.में उत्पादन विश्व के सकल उत्पादन का ३८ और 31 प्रतिशत था, जो सन १९४७ ई.में 1 और 7 प्रतिशत रह गया|
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सन १९१७ ई.में एक रुपया ... तेरह डॉलर के बराबर था,
सन १९४७ ई.में एक रुपया ... एक डॉलर के बराबर हो गया,
सन १९६५ ई.में साढे चार रुपये का ... एक डॉलर हुआ,
सन १९७२ ई.में साढे सात रुपये का ... एक डॉलर हुआ,
सन २००४ ई.में तैंतीस रुपये का ... एक डॉलर हुआ,
और सन २०१४ ई.में भारत पर विश्व बैंक के प्रत्यक्ष शासन के बाद उनहत्तर रुपये का एक डॉलर हुआ|
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क्या भारत स्वतंत्र है? सभी राजनीतिक दलों का चुनावी खर्चा नेताओं और अधिकारियों के स्विट्ज़रलैंड, ब्रिटेन, अमेरिका और सिंगापुर के बैंकों के गुप्त खातों में रखी काली कमाई से चलता है|

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