Saturday 9 July 2016

गुरु तत्व रूप में सर्वत्र व्याप्त है ....

गुरु तत्व रूप में सर्वत्र व्याप्त है ....
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जो नियमित ध्यान साधना करते हैं वे ही इसे ठीक से समझ सकते हैं|
तत्व रूप में गुरु रूप ब्रह्म सर्वत्र व्याप्त हैं| उनकी सर्वव्यापक आभा सम्पूर्ण समष्टि में है, और सम्पूर्ण समष्टि उनकी ही आभा में समाहित है| सम्पूर्ण अस्तित्व उन्हीं का है, और वे ही सम्पूर्ण अस्तित्व हैं|
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उनकी उपस्थिति का आभास परमप्रेम और आनंद के साथ कूटस्थ में ज्योतिर्मय ब्रह्म और प्रणव नाद के रूप में होता है| वे सब तरह के नाम-रूपों से परे हैं| उन्हें सीमित नहीं किया जा सकता| वे निराकार और साकार दोनों हैं|
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मेरे लिए तो साकार रूप में वे मेरे समक्ष नित्य शाम्भवी मुद्रा में पद्मासन में मेरे सहस्त्रार में समाधिस्थ हैं| वे ही मेरे ध्येय हैं और मेरा समर्पण उन्हीं के प्रति है|
मेरे लिए वे ही परमशिव है, विष्णु हैं, नारायण हैं और जगन्माता हैं|
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ||

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