Monday, 31 October 2022

सब प्रकार की परिस्थितियों से ऊपर उठना हमारा आध्यात्मिक दायित्व है ---

 सब प्रकार की परिस्थितियों से ऊपर उठना हमारा आध्यात्मिक दायित्व है ---

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मेरे सुख-दुःख हरिःइच्छा से नहीं, भूतकाल में (या पूर्व जन्मों में) रहे मेरे स्वयं के विचारों के कारण हैं। हमारे विचार ही हमारे कर्म हैं, जिन का फल भुगतना ही पड़ता है। । जिन गलत परिस्थितियों में मैं हूँ, उसके लिए मैं स्वयं उत्तरदायी हूँ, भगवान नहीं। मैं इसके लिए भगवान को दोष या श्रेय नहीं दे सकता। मेरा अब तक का अनुभव यही है कि जैसा हम सोचते हैं और जैसे लोगों के साथ रहते हैं, वैसी ही परिस्थितियों का निर्माण हमारे चारों ओर हो जाता है।
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जीवन एक रण है जिस में आहें भरना, और स्वयं पर तरस खाना एक कायरता है, जो हमें अज्ञान की सीमाओं में बंदी बनाती है। हर समस्या का समाधान करने, और हर विपरीत परिस्थिति से ऊपर उठने के लिए संघर्ष करना हमारा दायित्व है, जिस से हम बच नहीं सकते। यह हमारे विकास के लिए प्रकृति द्वारा बनाई गई एक आवश्यक प्रक्रिया है, जिसका होना अति आवश्यक है। हमें इसे भगवान का अनुग्रह मानना चाहिए। बिना समस्याओं के कोई जीवन नहीं है।
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कई मामलों में भगवान का कोई हस्तक्षेप नहीं होता, हमारे (सोच-विचार) कर्मफल ही काम करते हैं। हमें परिस्थितियों से ऊपर उठना ही पड़ेगा, दूसरा कोई विकल्प नहीं है। दुर्बलता स्वयं में होती है। बाहर की समस्त समस्याओं का समाधान स्वयं के भीतर है।
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मेरी सदा यह कमजोरी रही थी कि मैं अपनी विफलताओं के लिए हर समय परिस्थितियों को, भाग्य को, और भगवान को दोष देता रहता था। स्वयं को सदा परिस्थितियों का शिकार बताता था। उससे कभी कोई लाभ नहीं हुआ, बल्कि परिस्थितियाँ और भी विकट होती गईं। फिर हरिःकृपा से एक दिन अंतर में यह स्पष्टता आई कि मैं गलत था। भगवान ने सहायता की, अच्छे मित्र मिले, सोच बदली और परिस्थितियाँ भी बदलने लगीं।
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जब हम परिस्थितियों के सामने समर्पण कर देते हैं या उनसे हार मान जाते हैं, तब हमारे दुःखों और दुर्भाग्य का आरम्भ होता है। इसमें किसी अन्य का क्या दोष? नियमों को न जानने से किये हुए अपराधों के लिए किसी को क्या क्षमा मिल सकती है? नियमों को न जानना हमारी ही कमी है।
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श्रीमद्भगवद्गीता का नियमित अर्थ सहित स्वाध्याय करना सब प्रकार की परिस्थितियों से ऊपर उठने में हमारी सहायता करता है। यह भारत का प्राण है और समस्त मानव जाति को परमात्मा द्वारा दिया हुआ सन्देश है।
हरिः ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
७ सितंबर २०२२

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