Monday, 18 April 2022

जब से सृष्टि का आरंभ हुआ है तभी से सत्य-सनातन-धर्म हमारा स्वधर्म है, जिस पर दृढ़ रहें, और राष्ट्र की रक्षा करें ---

 जब से सृष्टि का आरंभ हुआ है तभी से सत्य-सनातन-धर्म हमारा स्वधर्म है, जिस पर दृढ़ रहें, और राष्ट्र की रक्षा करें। निज जीवन में परम सत्य की अभिव्यक्ति और आत्म-साक्षात्कार -- सनातन धर्म का सार है। प्रकृति के नियमों के अनुसार संसार ऐसे ही चलता रहेगा। परमात्मा ही परम सत्य है।

आत्मा की शाश्वतता, कर्मफलों का सिद्धांत, पुनर्जन्म, और ईश्वर के अवतारों में आस्था -- ये आधार हैं, जिन पर हमारी आस्था टिकी हुई है। स्वधर्म में ही जीना और मरना ही श्रेष्ठ है, स्वधर्म का थोड़ा-बहुत पालन भी महाभय से हमारी रक्षा करता है।
जीवन में भक्ति, ज्ञान और कर्म को समझें और अपने आचरण में उन्हें उतारें।
सभी को शुभ कामनायें और नमन !! ॐ तत्सत् !!
"ॐ नमः शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च।
मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च॥" ॐ ॐ ॐ !!
.
कृपा शंकर
१ मार्च २०२२

No comments:

Post a Comment